सेंगोल क्या है, क्या होता है सेंगोल, संसद में सेंगोल क्या है? (What is Sengol in parliament, Sengol in parliament in hindi, sengol kya hai)
Sengol Kya Hai क्या है नए संसद भवन में रखा जाने वाला Sengol– नई संसद के उद्घाटन के मौके पर नए भारत को परंपरा से जोड़ा जाएगा। आजादी के बाद भुला दिए गए सेंगोल की संसद भवन में स्थापना हुई।
सेंगोल भारतीय परंपरा का हिस्सा रहा है। इसका संबंध भारत के इतिहास और आजादी से है। इसके लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता। आइये जाने की सेंगोल क्या है, और क्यू इसकी इतनी चर्चा हो रही है।
सेंगोल की नई वेबसाइट के मुताबिक 15 अगस्त, 1947 की भावना को दोहराते हुए वही समारोह 28 मई, 2023 को नई दिल्ली में संसद परिसर में दोहराया गया।
Table of Contents
सेंगोल के बारे में जानकारी (About Sengol)
स्थापना | 28 मई 2023 (नया संसद भवन) |
अर्थ | धर्म, सच्चाई और निष्ठा। |
निर्माता | स्वर्णकार वुम्मिदी बंगारू चेट्टी |
वेबसाइट | sengol1947ignca.in |
सेंगोल क्या है? (Sengol Meaning in Hindi)
सेंगोल शब्द तमिल शब्द “सेम्मई” से लिया गया है जिसका अर्थ है ” नीतिपरायणता“। सेन्गोल न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन का एक पवित्र प्रतीक है। यह शासक या प्रणेताओं के लिए एक अनुस्मारक है कि इसे सदैव शासन के केंद्रीय दिशानिर्देश के रूप में रखें। इसे राज्य के विस्तार, प्रभाव और संप्रभुता से भी जोड़ कर देखा जाता है।
परंपरा में सेंगोल को “राजदण्ड” कहा जाता है, जिसे राजपुरोहित राजा को देता था। वैदिक परंपरा में दो तरह के सत्ता के प्रतीक हैं। राजसत्ता के लिए “राजदंड” और धर्मसत्ता के लिये “धर्मदंड” राजदंड राजा के पास होता था और धर्मदंड राजपुरोहित के पास इसके अलावा सेंगोल तमिल भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ “संपदा से संपन्न” होता है।
और आजाद भारत में इसका बड़ा महत्व है। 14 अगस्त 1947 में जब भारत की सत्ता का हस्तांतरण हुआ, तो वो इसी सेंगोल द्वारा हुआ था। एक तरह कहा जाए तो सेंगोल भारत की आजादी का प्रतीक है। उस समय सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था।
14 अगस्त, 1947 को पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा इसे प्राप्त करने के बाद, इसे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद संग्रहालय (अब प्रयागराज) में रखा गया था।
1661 में चार्ल्स द्वितीय के राज्याभिषेक के लिए इंग्लैंड की रानी का ‘सॉवरेन्स ओर्ब’ बनाया गया था। यह 362 साल बाद, आज भी राज्याभिषेक के समय नए राजा या रानी को दिया जाता है। यह एक सोने से बना वृत्त है जिस पर एक क्रॉस चढ़ा हुआ है और जो सम्राट को यह याद दिलाता है कि उनकी शक्ति भगवान से ली गई है।
सेंगोल को किसने बनाया है?
सेंगोल को मद्रास के एक प्रसिद्ध स्वर्णकार वुम्मिदी बंगारू चेट्टी (Vummidi Bangaru Chetty) ने निर्मित किआ है। सेंगोल को सोने और चांदी की परत चढ़ाकर बनाया गया है। इसे बनाने में 10 स्वराड शिल्पकारों के एक दल ने 10-15 दिन में बनाकर तैयार किआ है।
सेंगोल का इतिहास (Sengol History in hindi)
सेंगोल के इतिहास की बात करें तो भारत में ईसा पूर्व तक इसका इतिहास जाता है। सबसे पहले इसका प्रयोग मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) में सम्राट की शक्ति के प्रतीक के तौर पर किया जाता था।
गुप्त साम्राज्य (320-550 ई.), चोल साम्राज्य (907-1310 ई.) और विजयनगर साम्राज्य (1336-1946 ई.) में भी सेंगोल के प्रयोग के प्रमाण भी मिलते हैं। मुगल और ब्रिटिश हुकूमत भी अपनी सत्ता और साम्राज्य की संप्रभुता के प्रतीक की तौर पर सेंगोल (राजदण्ड) का प्रयोग करती थीं।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नए राष्ट्र के सफल भविष्य के लिए सेंगोल को सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया। इसके बाद उन्होंने 14 अगस्त, 1947 की आधी रात को अपना प्रसिद्ध भाषण दिया।
श्री ला श्री थम्बिरन ने सेंगोल को भगवान को सौंप दिया माउंटबेटन, जिन्होंने इसे वापस सौंप दिया। सेंगोल था उस पर पवित्र जल छिड़क कर शुद्ध किया जाता है।
श्री ला श्री थम्बीरन तब सेंगोल को नेहरू के आवास पर ले गया समारोहों का संचालन करें और सेंगोल को सौंप दें नए शासक, के कई दिग्गज नेताओं की उपस्थिति में स्वतंत्रता आंदोलन हुआ।
ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू को पीएम बनने से कुछ ही दिनों पहले पूछा कि आप देश की आजादी को किसी खास तरह के प्रतीक के जरिए सेलिब्रेट करना चाहते हैं तो बताएं।
नेहरू भारत के जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी के पास गए। राजगोपालाचारी मद्रास के सीएम रह चुके थे, उन्हें परंपराओं की पहचान थी। उन्होंने नेहरू को राजदंड भेंट करने वाली तमिल परम्परा के बारे में बताया। इसमें राज्य का महायाजक (राजगुरु) नए राजा को सत्ता ग्रहण करने पर एक राजदंड भेंट करता है। परंपरा के अनुसार यह राजगुरु, थिरुवदुथुरै अधीनम मठ का होता है।
इस प्रकार, अंग्रेजों से भारतीय हाथों में सत्ता का हस्तांतरण एक हजार साल पहले के प्रतीक के साथ हुआ था, जैसे प्रति सभ्यतागत अभ्यास। के एक उल्लेखनीय एकीकरण में दक्षिण और उत्तर, घटना और प्रतीक राष्ट्र के जन्म को एक के रूप में मनाया। सेंगोल वास्तव में इतिहास में एक सम्मानित स्थान का हकदार है।
सेंगोल कैसे बनाया गया था?
जब पंडित जवाहर लाल नेहरू सुझाए गए समारोह को करने के लिए सहमत हो गए, तो राजगोपालाचारी, जिन्हें राजाजी के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें एक राजदंड की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
इसके बाद, वह मदद के लिए तमिलनाडु के तंजौर जिले के एक प्रसिद्ध मठ थिरुवदुथुराई अथेनम के पास पहुंचे और इसके नेता ने आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार, चेन्नई स्थित “वुम्मिदी बंगारू चेट्टी” ज्वैलर्स को सेंगोल के निर्माण का काम सौंपा।
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था।
जब पंडित जवाहर लाल नेहरू पुजारी से सेंगोल स्वीकार कर लिया इरुववदुथुरै अधीनम का 14 अगस्त, 1947 को, यह एक था खास क्षण।
ये सेंगोल हमारा राष्ट्रीय प्रतीक है एक शासक से सत्ता का हस्तांतरण दूसरे के लिए, पवित्र एड और आशीर्वाद द्वारा देवता, राष्ट्र के अतीत को जोड़ते हुए भविष्य के साथ, नया याद दिलाता है न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन करने के लिए शासक। ई सेंगोल इसके स्थान के योग्य है सत्ता के हस्तांतरण का पवित्र प्रतीक हमारे देश में।
सेंगोल की कीमत क्या है?
बता दें की सेंगोल चांदी और सोने से बनाया गया था और इस पर सोने का पानी चढ़ाया गया था। कई सुनारों ने सेंगोल पर नक्काशी की। वुम्मिडी बंगारू परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य अमरेंद्रन वुम्मिडी के मुताबिक आज के हिसाब से इस सेंगोल की कीमत 70-75 लाख रुपये तक होगी। अमरेंद्रन का कहना है कि इसे बनाने में कम से कम 30 दिन का समय लगा होगा।
सेंगोल के बारे में और जाने इन इन्फोग्राफिक्स में।
Sengol History Video
FAQ
Q: आजादी के बाद कहां गया सेंगोल?
Ans: भारत की आजादी के बाद सेंगोल या राजदंड का प्रयोग नहीं किया जाता था। इसे ऐतिहासिक धरोहर मानते हुए, इलाहाबाद (प्रयागराज) संग्रहालय में रख दिया गया।
Q: सेंगोल कहाँ लगाया जाएगा?
Ans: सेंगोल को नए संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास लगाया जाएगा।
निष्कर्ष- तो इस तरह से आपने ऊपर जाना की सेंगोल क्या है, और इसका इतिहास क्या है। हमने आज आपको सेंगोल के बारे में बहुत साड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार जनो के साथ भी जरूर शेयर करें।