श्री गणेश आरती – (Ganesh Ji ki Aarti) 2024 PDF Download

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किसी भी महत्वपूर्ण क्रिया या शुभ कार्य के प्रारंभ से पहले, श्री गणेश जी की आरती अद्भुत मानी जाती है। गणेश चतुर्थी के पवित्र दिनों में, भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का आयोजन विशेष रूप से किया जाता है।

किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में गणेश जी की आरती का अद्वितीय महत्व होता है। गणेश चतुर्थी के पवित्र दिनों में, भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का आयोजन विधिपूर्वक रूप से किया जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह भगवान गणेश की पूजा-आराधना के लिए समर्पित होता है। प्रत्येक वर्ष, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को देशभर में गणेशोत्सव का पर्व बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है।

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर 10 दिनों तक, गणपति उत्सव आयोजित किया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, प्रत्येक घर में भगवान गणेश की मूर्ति का स्थापना किया जाता है।

इसके अलावा, विभिन्न पंडालों में भी भगवान गणेश की श्री प्रतिमा का स्थापना करके 10 दिनों तक पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है।

Ganesh Ji ki Aarti PDF

Ganesh Ji ki Aarti

श्री गणेश आरती – Ganesh Ji ki Aarti

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

श्री गणेश आरती सुखकर्ता दुखहर्ता – (Ganesh ji ki Aarti sukh karta dukh Harta)

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति॥ जय देव जय देव…

रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा।
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥ जय देव जय देव…

लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकष्टी पावावें, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना॥

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति॥ जय देव जय देव…

श्री गणेश आरती – Ganesh Ji ki Aarti (Sindoor Lal Chadhayo)

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको 1॥

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥2॥

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥।
भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥3॥

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥

गणेश चतुर्थी 2024 स्थापना मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2024 Sthapana Muhurat)

गणेश चतुर्थी के दिन, बप्पा की मूर्ति की स्थापना और उनका विसर्जन, दोनों ही शुभ मुहूर्त में करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पवित्र दिन पर, जानते हैं कि गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश, माँ गौरी के पुत्र, की मूर्ति की स्थापना का विशेष शुभ मुहूर्त –

  • भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि प्रारंभ – सोमवार 18 सितंबर 2023, दोपहर 12:39
  • भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त – मंगलवार 19 सितंबर 2023, दोपहर 01:43

गणेश चतुर्थी का महत्व

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। किसी भी शुभ और मांगलिक कार्यक्रम में सबसे पहले गणेश जी की वंदना और पूजा की जाती है।

भगवान गणेश को बुद्धि, सुख-समृद्धि और विवेक का दाता माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में दोपहर के प्रहर में हुआ था।

ऐसे में, गणेश चतुर्थी के दिन पर घर पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करने जाते हैं तो दोपहर के शुभ मुहूर्त में करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

गणेश चतुर्थी तिथि से लेकर अनंत चतुर्दशी तक, यानी लगातार 10 दिनों तक, विधि-विधान के साथ गणेश जी की पूजा-उपासना की जाती है।

गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं और संकट दूर हो जाते हैं, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इस तरह से आपने ऊपर Ganesh Ji ki Aarti को पढ़ा। आप इसकी पीडीऍफ़ फाइल भी डाउनलोड कर सकते हैं। आपको Ganesh Ji ki Aarti PDF फाइल डाउनलोड करने को से मिल जाएगी।

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