दोस्ती पर कविताएँ, Heart touching poem on friendship, Poem on friendship in Hindi, dosti par kavita in hindi
जय हिन्द दोस्तों, फ्रेंड्स तो सबके होते है, मेरे भी है और आपके भी होंगे। लेकिन एक अच्छा और सच्चा मित्र कुछ किस्मत वालों को ही मिलता है। दोस्ती का रिश्ता इस दुनिया का एक ऐसा रिश्ता होता है जो कि खून का नहीं होता।
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता होता है जिसमें हम अपने दोस्त को अपनी सभी बाते आसानी से बता देते हैं, जो बात हम अपने माता – पिता, भाई – बहन को भी नहीं शेयर करते वह अपने दोस्त के साथ शेयर कर देते हैं।
यह सिर्फ़ विश्वास पर टिका होता है, आंख बंद करके भी दोस्तों पर भरोसा किया जा सकता है। दोस्त ही हमारे जीवन में ऐसे होते हैं, जिनको हम अपने मन से चुनते हैं।
दोस्त ही होता है जो हमें अपने निराशाजनक जीवन से दूर ले जाकर ढेर सारी खुशियाँ देता है। हमारे हर सुख और दुःख में अपनी हर सहभागिता निभाता है।
इस दोस्त जैसे अनमोल शब्द को समझने के लिए हम आपके समक्ष आज दोस्ती पर कुछ कविताएँ (poem for best friend in hindi) शेयर कर रहे हैं।
उम्मीद करता हूँ आपको यह Best Poem on Friendship in Hindi पसंद आएगी। इस दोस्ती पर कविता को अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें।
Table of Contents
- दोस्ती पर कविताएँ (Poem on Friendship in Hindi)
- 1. मेरे दोस्त
- 2. ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
- 3. दोस्ती है अनमोल रत्न
- 4. प्रिय मित्र
- 5. सच्चा दोस्त एक एहसास (Poem on Friendship)
- 6. सिलसिला ये दोस्ती का
- 7. सुख-दुख के अफसाने का
- 8. दोस्ती जब किसी से की जाये
- 9. पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं
- 10. कहतें है कि दोस्ती क़ा रिश्ता
- 11. दोस्त वो है
- 12. ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
- 13. दोस्ती का रिश्ता
- 14. ये मेरी दोस्ती की दास्तान
- 15. दोस्ती का रिश्ता
- 16. दोस्ती के वो पल (Poem on Friendship)
- 17. एक दोस्त बहुत याद आया
- 18. दोस्ती क्या है
- 19. दोस्त भूलाये नहीं जाते
- 20. वो साथ था जाना पहचाना
- 21. एक दिन जिंदगी ऐसे मुकाम पर पहुँच जाएँगी
- 22. दोस्ती प्यार का दरिया
- 23. सच्चा साथी
- 24. जाना पहचाना साथी
- 25. साथ निभाने वाला (Poem on Friendship)
- 26. मैं यादों की किताब खोलू तो
- 27. वो दोस्त ना जाने कहां गुम हो गया
- 28. दोस्त वो है जो थाम के रखता है हाथ
- 29. विरू तेरीं यारी को
- 30. क्या खब़र तुमक़ो दोस्ती क्या हैं
- निष्कर्ष-
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दोस्ती पर कविताएँ (Poem on Friendship in Hindi)
1. मेरे दोस्त
दोस्ती तेरी मेरे यार,
मुझे जान से प्यारी है।
तेरा साथ रहे जीवन में,
तो लगे जैसे सारी खुशियाँ हमारी है।
तेरी एक हंसी के लिए मेरे दोस्त,
तोड़ लाऊँ मैं आसमाँ से तारे भी।
क्योंकि तेरी खुशियाँ से ही,
ये दुनियाँ हमारी है।
तू कह दे तो हवाओं का रुख मोड़ दूँ,
तू कह दे तो तूफानों को भी रोक हूँ।
तुझ पर तो कुर्बान,ये जान हमारी है।
तेरा हर ख्वाब पूरा करने को,
मैं पूरी जिंदगी बिता दूँ।
दिल कहता है तेरी जिंदगी को जन्नत बना दूँ,
तेरे लिए ही बनी ये जवानी हमारी है।
तू है तो मेरे दोस्त सब कुछ है,तू नही तो कुछ भी नही।
तुझसे ही शुरू तुझसे ही खत्म,
ये जिंदगी हमारी है।
2. ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोडेंगे
ऐ मेरी जीत तेरी जीत तेरी हार मेरी हार
सुन ऐ मेरे यार
तेरा ग़म मेरा ग़म तेरी जान मेरी जान
ऐसा अपना प्यार
खाना पीना साथ है, मरना जीना साथ है
खाना पीना साथ है, मरना जीना साथ है
सारी ज़िन्दगी
ये दोस्ती …
लोगों को आते हैं दो नज़र हम मगर
ऐसा तो नहीं
हों जुदा या ख़फ़ा ऐ खुदा दे दुआ
ऐसा हो नहीं
ज़ान पर भी खेलेंगे तेरे लिये ले लेंगे
ज़ान पर भी खेलेंगे तेरे लिये ले लेंगे
सबसे दुश्मनी
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे।
3. दोस्ती है अनमोल रत्न
दोस्ती है अनमोल रत्न;
नहीं तोल सकता जिसे कोई धन,
सच्ची दोस्ती जिसके पास है;
उसके पास दौलत की भरमार है,
न ही जीत न ही कोई हार है,
दोस्त के दिल में तो बस प्यार ही प्यार है।।
भटके जब भी दोस्त संसार के मोहजाल में,
खींच लाता है सच्चा दोस्त उसे अच्छाई के प्रकाश में,
छोड़ देता है जग सारा जब मुश्किल भरी राह में,
सच्चा दोस्त साथ देता है तब जिंदगी की राह में।।
बने चाहे दुश्मन क्यों न जमाना सारा,
सच्चा दोस्त साथ देता है सदा हमारा,
दोस्त के लिए कुर्बान होता है जीवन सारा,
हर मुश्किल में बनता है वो सहारा।।
सच्ची दोस्ती को वक्त परखता हर बार है,
वक्त की हर परीक्षा से हसते हुए पास करना ही दोस्ती की पहचान है,
दुनिया की किसी शौहरत की न जिसे दरकार है,
सच्चा दोस्त रखने वाला संसार में सबसे धनवान है।।
4. प्रिय मित्र
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला।
अब इसे लोग समझते हैं गिरफ्तार मेरा
सख्त नदीम है मुझे दाम में लाने वाला।
क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे इस से
वो जो इक शख्स है मुंह फेर के जाने वाला।
मुन्तज़िर किस का हूँ टूटी हुई दहलीज़ पे मैं
कौन आएगा यहाँ कौन है आने वाला।
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला।
5. सच्चा दोस्त एक एहसास (Poem on Friendship)
मुश्किल वक़्त में,
जो हरदम साथ देता है।
सच्चा दोस्त वही है,
जो गिरते को थाम लेता है।
सच्चा दोस्त वही है।
चाहे कितने गम हो,
वो हँस के बाँट लेता है।
पतवार बन जीवन की,
नैया को पार करा देता है।
राह दिखाकर सच्चाई की,
बुराइयों से बचा लेता है।
सच्चा दोस्त वो दीपक है जो,
अँधियारे पथ को प्रदर्शित कर देता है।
सच्चा दोस्त वो फूल है,
जो दोस्ती को ख़ुशबू से महका देता है।
देकर जीवन में नई खुशियाँ,
उसे जन्नत बना देता है।
सच्चा दोस्त वो अहसास है,
जो बारिश में भी आंसुओं को पहचान लेता है।
देकर हिम्मत इस मुश्किल भरे जीवन में,
हमें सबसे खास बना देता है।
6. सिलसिला ये दोस्ती का
सिलसिला ये दोस्ती का हादसा जैसा लगे
फिर तेरा हर लफ़्ज़ मुझको क्यों दुआ जैसा लगे।
बस्तियाँ जिसने जलाई मज़हबों के नाम पर
मज़हबों से शख़्स वो इकदम जुदा जैसा लगे।
इक परिंदा भूल से क्या आ गया था एक दिन
अब परिंदों को मेरा घर घोंसला जैसा लगे
घंटियों की भाँति जब बजने लगें ख़ामोशियाँ
घंटियों का शोर क्यों न ज़लज़ला जैसा लगे।
बंद कमरे की उमस में छिपकली को देखकर
ज़िंदगी का ये सफ़र इक हौसला जैसा लगे।
7. सुख-दुख के अफसाने का
दोस्ती दर्द नहीं रोने रुलाने का
ये तो अरमान है एक खुशी के आशियाने का
इसे काँटा ना समझना कोई
ये तो फूल है जिन्दगी की राहों को महकाने का
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का
दोस्ती नाम है दोस्तों में खुशियाँ बिखेर जाने का
आँखों के आँसूओं को नूर में बदल जाने का
ये तो अपनी ही तकदीर में लिखी होती है
धीरे-धीरे खुद अफसाना बन जाती है जमाने का
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का
दोस्ती नाम है कुछ खोकर भी सब कुछ पाने का
खुद रोकर भी अपने दोस्त को हँसाने का
इसमें प्यार भी है और तकरार भी
दोस्ती तो नाम है उस तकरार में भी अपने यार को मनाने का
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का।
8. दोस्ती जब किसी से की जाये
दोस्ती जब किसी से की जाये,
दुश्मनों की भी राय ली जाये।
मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में,
अब कहाँ जा के साँस ली जाये।
बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ,
ये नदी कैसे पार की जाये।
मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे,
आज फिर कोई भूल की जाये।
बोतलें खोल के तो पी बरसों,
आज दिल खोल के भी पी जाये।
9. पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं
पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं
वो बिलक़ुल बन्दरों जैंसे हैं
कोईं पतला हैं कोई मोटा
कोईं लम्बा हैं कोईं छोटा
पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं
वो ब़िलकुल बन्दरों जैसे हैं
ज़ब भी घर में आते उर्दंग मचा ज़ाते
हलागुला क़रके पूरें मोहल्लें को हिला ज़ाते
ज़ब भी जाए हम सादी में
वो अलग़ ही पहचानें जाते
ख़ाना पेट भर ख़ाकर
वो रात भर डीज़े मे उछलतें कूदतें
पूछों नही मेरें दोस्त कैंसे हैं
वो बिलक़ुल बन्दरों जैसे हैं
लड़ाई हो जाए मेरी कभीं
तो वो सब़ पहुच ज़ाते हैं
ओर नाम ब़ता हमे उसका
करकें पीछें पड जाते हैं
नाम ब़ताऊ दुश्मन क़ा तो
वो वहां चलें जाते हैं
मेरा ब़दला लेनें के लिये
दुश्मन सें भिड जाते हैं
दुश्मनों की चाहें गैग हो
वो नही उनसें डरते
ज़ाते जरूर चाहें वो
मार ख़ाकर ही क्यो नही आते
आक़र वो मुझें पूरी क़हानी बतातें
ब़दला ले आए हम
वो बडा चढाकर कहतें
पूछों नही मेरे दोस्त कैंसे हैं
वो बिलक़ुल बन्दरों जैसे हैं।
10. कहतें है कि दोस्ती क़ा रिश्ता
ग़र दोस्ती ही बेवफ़ा हो जाए
तो यहीं रिश्ता सब़से बदसूरत होता हैं।।
दो दोस्त ग़र बिछड जाए
तो ज़िन्दगी वींरान होती हैं।।
दोस्ती दो दिलो को जोडती हैं
वो बडे से बडे दुख का असर तोडती हैं।।
दोस्तो हमेशा बाधक़र रख़ना दोस्ती प्रेम क़ी डोर से
क्योकि दोस्ती कें रिश्ते का कोईं मोल नही होता हैं।।
अक़ेले मे दोस्त हीं क़ाम आता हैं
खुशी मे भी दोस्ती के साथ हाथो मे ज़ाम आता हैं।।
दोस्त को क़भी न ख़ोना तुम
हमेशा दोस्त को दिल मे ब़साना तुम।।
11. दोस्त वो है
दोस्त वो है जो थाम के रखता है हाथ
परवाह नहीं उसको कौन है तुम्हारे साथ
उसकी आखों में चमक दिखती है
जब होता है तुम्हारे साथ
गुजर जाता है वक़्त मिनटों में
जब करते हैं उससे बात
दोस्त वो हैं जो सामने आ जाये गर
खुद बयाँ हो जाते हैं दिल के हालत
कुछ सोचना नहीं पड़ता
जब होती है उससे बात
दोस्त वो है जो बिन कहे समझ लेता है हर बात
बस हम छिपा नहीं सकते उससे कोई भी राज
कर देता है हैरान तब और भी
जब मरहलों में बन जाता है ढाल
अपने सारे दर्द ग़म भुला कर
साथ हँसता है सारी रात
उसे कुछ भी नहीं चाहिए तुमसे बस
कुछ पल तुम्हारे साथ का है वह मोहताज़
दोस्त वो है जिससे दोस्ती निभानी नहीं पड़ती
जिसे कोई भी बात समझानी नहीं पड़ती
रूठ भी जाए तो भी नहीं करता नज़रन्दाज़
इसलिए ये रिश्ता होता है हर रिश्ते से ख़ास
कभी वो माँ की तरह समझाता है
तो कभी पिता की तरह डांटता है
कभी- कभी बहन बन कर सताता है
तो कभी भाई की तरह रुलाता है
कभी एक आफ़ताब बन होंसला बढ़ाता है
हमें ग़म और खुशियों से परे ले जाता है
जिसके पास है ऐसा दोस्त
वही मुकम्मल है इस जहाँ में
वही है हयात का सरताज
12. ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
यारा माफ़ करना
तुझे तंग करना ख़ुशी बन जाती है।
मेरी फिर तेरा रूठना,
चेहरे पर हंसी खिला देती है।
तू जो बोले तेरे विपरीत बोलना,
भाई की कमी पूरा कर जाती है।
तो कैसे मैं तुझे तंग न करू
तंग न करे बिना भाई वाले दोस्त की खुशबू नहीं आती।
ऐ दोस्त कैसे भूल जाऊं तुझे,
जहां मेरा कोई न था
वहां तूने मेरा साथ दिया।
रोने के लिए तेरा कन्धा,
तो हंसने में तूने मेरा साथ दिया।
जब वो मेरे साथ होते,
मुझे किसी का डर नहीं होता।
जब वो मेरे साथ-साथ होते,
तो मुझे किसी से पीटने का भी डर होता है।
पर क्या करूं उन कमबख्तों से ही
मेरी ख़ुशी का हर पल होता है।
सोचा ही था लाइफ में
ऐसा कुछ कमाना है,
छोटी सी उम्र में ही वो कारनामा कर गये
और दोस्ती में भी
जान कहने वाले दोस्त कामा गये।
ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
College से ज्यादा
नुक्कड़ वाली टपरी पर बैठ कर
चाय से इश्क लङाना।
ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
किसी बात पर मेरा रुठ जाना
और दोस्तो के चेहरे से खुशी का चला जाना
फिर मेरी हंसी की एक झलक के लिए
चलती Class में Comment मारना
और मेरा नाम लेना।
ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
बीना बताये मूवी देखने चले जाना
पता चलने पर मेरा रूठना
तुम्हारा रोना। बस रुठे हुए को मनाने के लिए पार्टी देना।
ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
किसी बात पर उदास तो मैं होता था
ख़ुशी तेरे चेहरे पर भी नहीं होती थी
बस मेरे चेहरे पर खुशी के लिए
पूरी होस्टल को सर पर ले लेना
और फिर Warden को मनाना।
ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
तुझे बिना कहे बाहर जाना
पीछे मेरे तेरा खाना नहीं खाना
वापस Hostel आने पर
बाहर से खाना मंगवाना।
ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
मेरा फ़ोन नहीं उठाने पर
2 या 3 दिनों तक Block हो जाना
और वापस चाय की चुस्की के साथ
मुझे मनाना।
ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
मेरे रवैये से विपरीत जाकर तुझे चिङाना
और गुस्सा होने पर क्या कर लेगा बोलना
फिर कुछ समय के लिए रुठ जाना
और गुरुजी बस इतनी सी ही है दोस्ती
कहकर वापस मनाना।
ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
तेरी गलती ना होते हुए भी
दोस्तों के बीच तकरार मिटाने की कोशिश करना
दोस्तों के बीच Misunderstanding को
खुद Sorry बोल कर दूर करना।
ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
दोस्ती की कसम पर
अपने सारे राज बता देना
Blackmailing होते हुए भी
मीठे गाने सुनाना।
ऐ दोस्त याद आते हैं वो दिन
Phone तेरा होना
और हर वक्त उसमें Photo मेरा लेना
तु ही हमारा Photographer कहकर
तुझे खुश करना।
13. दोस्ती का रिश्ता
कहते हैं कि दोस्ती का रिश्ता
बड़ा ही खूबसूरत होता है
अगर दोस्ती ही बेवफा हो जाये
तो यही रिश्ता सबसे बदसूरत होता है
दो दोस्त अगर बिछड़ जाये
तो ज़िन्दगी वीरान होती है
दोस्ती दो दिलों को जोड़ती है
वो बड़े से बड़े दुःख का असर तोड़ती है
दोस्तों हमेशा बांध कर रखना दोस्ती प्रेम की डोर से
क्योंकि दोस्ती के रिश्ते का कोई मोल नहीं होता है
अकेले में दोस्त ही काम आता है
ख़ुशी में भी दोस्ती के साथ हाथों में जाम आता है
दोस्त को कभी न खोना तुम
हमेशा दोस्त को दिल में बसाना तुम
14. ये मेरी दोस्ती की दास्तान
कितने अजीब है ना ये रिश्ते, जो किस्मत से मिलते हैं।
अपनी यारी को जन्नत बना जाते हैं,
दोस्त मिले तो अन्जाने में, कोई मस्ती वाला यार बन गया,
कोई हॉस्टल की टोली में मिल गया,
कुछ नोट्स वाले दोस्त मिले, कोई चाय की चुश्कियों के साथ दिल गये।
कईयों ने साथ में गलियां भी खाई और कईयों ने खिलवाई भी।
पर दोस्ती हर एक ने क्या ख़ूब निभाई,
दोस्तों के नाम पर सारे भुक्कड़ ही मिले, एक टिफिन में पूरी टोली ने लूट मचाई।
और चाय के शौकीन तो हम बराबर के निकले, फिर क्या सब के हाथ में चाय और सबकी टांग खिंचाई।
धीरे-धीरे दोस्ती और गहराई, अपने नये रंग लाई,
कुछ बेस्ट फ्रेंड बने और कुछ सीक्रेट पार्टनर।
कुछ के दिल मिल गये और कहीं रक्षा सूत्र बंध गये।
अब एक दौर गलतफहमियों का भी आया,
कभी रोना कभी मनाना, कभी रूठना कभी समझाना
अपनी यादों में एक हिस्सा यह भी बनाया।
अब जो वक्त था बिछड़ने का, वो फिर सबको साथ ले आया।
नम आँखे और दिल में इतनी सारी यादें लिए, जाते वक्त फिर मिलने के वादे दिए
हर कोई अपनी राहों में बढ़ गया, आज कोई पास तो नहीं मगर सब साथ है।
मिलते आज भी हैं सब, दोस्ती की यही तो बात है,
ये महज एक कहानी नहीं, ये मेरी दोस्ती की दास्तान है।
15. दोस्ती का रिश्ता
कहते हैं कि दोस्ती का रिश्ता
बड़ा ही खूबसूरत होता है।।
अगर दोस्ती ही बेवफा हो जाये
तो यही रिश्ता सबसे बदसूरत होता है।।
दो दोस्त अगर बिछड़ जाये
तो ज़िन्दगी वीरान होती है।।
दोस्ती दो दिलों को जोड़ती है
वो बड़े से बड़े दुःख का असर तोड़ती है।।
दोस्तों हमेशा बांध कर रखना दोस्ती प्रेम की डोर से
क्योंकि दोस्ती के रिश्ते का कोई मोल नहीं होता है।।
अकेले में दोस्त ही काम आता है
ख़ुशी में भी दोस्ती के साथ हाथों में जाम आता है।।
दोस्त को कभी न खोना तुम
हमेशा दोस्त को दिल में बसाना तुम।।
16. दोस्ती के वो पल (Poem on Friendship)
हर सुख दुःख में, साथ साथ जीया करते थे।
हार हो या जीत एक दुसरे का हमेशा साथ दिया करते थे।
कभी हम तुमसे कभी तुम हमसे रूठ जाया करते थे।
फिर हम तुम्हे और कभी तुम हमें मना लिया करते थे।
एक दूसरे की खुद से ज्यादा परवाह किया करते थे।
ये बात बस कल की ही लगती है।
हम तुम अपनी दोस्ती पर कितना इतराया करते थे।
यकीन नहीं होता समय के साथ हालात इतने बदल जायेंगे।
हम अपनी अपनी दुनिया में इस कदर खो जायेंगे।
एक दूसरे की जिंदगी में बस एक याद बनकर रह जायेंगे।
हम ना तुमसे, ना जिंदगी से कोई शिकायत करेंगे।
बस इस यकीन को हमेशा दिल में कायम रखेंगे।
जब भी दिल से पुकारेंगे, तुम्हें अपने पास पाएंगे।
17. एक दोस्त बहुत याद आया
आज रूठा हुवा एक दोस्त बहुत याद आया
अच्छा गुज़रा हुवा कुछ वक़्त बहुत याद आया।
मेरी आँखों के हर एक अश्क पे रोने वाला
आज जब आँख यह रोई तू बहुत याद आया।
जो मेरे दर्द को सीने में छुपा लेता था
आज जब दर्द हुवा मुझ को बहुत याद आया।
जो मेरी आँख में काजल की तारा रहता था
आज काजल जो लगाया तू बहुत याद आया।
जो मेरे दिल के था क़रीब फ़क़त उस को ही
आज जब दिल ने बुलाया तू बहुत याद आया।
18. दोस्ती क्या है
दुःख मिलने पर ये अजब भी हैं,
और यह प्यार का जवाब भी हैं,
दोस्ती यु तो माया जाल हैं,
इक हकीकत भी हैं ख़याल भी हैं।
कभी जमीं कभी फ़लक भी हैं,
दोस्ती झूठ भी हैं सच भी हैं,
दिल में रह जाए तो कसक भी हैं,
कभी ये हर भी हैं जीत भी हैं।
दोस्ती साज भी हैं संगीत भी हैं,
शेर भी नमाज़ भी गीत भी हैं,
वफ़ा क्या हैं वफ़ा भी दोस्ती हैं,
दिल से निकली दुआ भी दोस्ती हैं।
बस इतना समझ ले तू
एक अनमोल हिरा हैं दोस्ती।
19. दोस्त भूलाये नहीं जाते
क्या खबर तुमको दोस्ती क्या हैं,
ये रोशनी भी हैं और अँधेरा भी हैं,
दोस्ती एक हसीन ख़्वाब भी हैं,
पास से देखो तो शराब भी हैं।
किसी न किसी पे किसी को ऐतबार हो जाता है,
अजनबी कोई शख्स यार हो जाता है,
खूबियों से नहीं होती मोहब्बत सदा,
खामियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है।।
किन लफ़्ज़ों में इतनी कड़वी कसैली बात लिखूं,
मैं सच लिखूं के अपने हालत लिखूं,
कैसे लिखूं मैं चांदनी रातें,
जब गरम हो रेत तो कैसे मैं बरसात लिखूं।।
सभी नग्मे साज़ में गाये नहीं जाते,
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते,
कुछ पास रह कर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रह कर भी भूलाये नहीं जाते।।
20. वो साथ था जाना पहचाना
वो खुशियों की डगर, वो राहों में हमसफ़र।
वो साथी था जाना पहचाना।।
दिल हैं उसकी यादों का दीवाना
वो साथ था जाना पहचाना।।
गम तो कई उसने भी देखे।
पर राहों में चले खुशियों को लेके।।
दिल चाहता हैं हर दम हम साथ चलें।
पर इस राह में कई काले बादल हैं घने
वो साथ था जाना पहचाना।।
मेरे आसुओं को था जिसने थामा।
मुझसे ज्यादा मुझको पहचाना।।
चारों तरफ था घनघोर अँधियारा।
बनकर आया था जीवन में उजियारा।
वो साथ था जाना पहचाना।।
गिन-गिन कर तारे भी गिन जाऊ।
पर उसकी यादों को भुला ना पाऊ।।
कहता था अक्सर हर दिन हैं मस्ताना।
हर राह में खुशियों का तराना
वो साथ था जाना पहचाना।।
कहता हैं मुझे भूल जाना।
अपनी यादों में ना बसाना।।
देना चाहूँ हर ख़ुशी उसे।
इसीलिए, मिटाना चाहूँ दिल से
वो साथ था जाना पहचाना।।
21. एक दिन जिंदगी ऐसे मुकाम पर पहुँच जाएँगी
एक दिन जिंदगी ऐसे मुकाम पर पहुँच जाएँगी
दोस्ती तो सिर्फ़ यादों में ही रह जाएँगी,
हर बात दोस्तों की याद दिलायेंगी
और हँसते हँसते फिर आँख नम हो जाएँगी,
ऑफिस के रूम में क्लासरूम नज़र आएँगी
पैसे तो बहोत होगा
लेकिन खर्चा करने के लम्हें कम हो जायेंगें,
जी लेंगे खुल के इस पल को मेरे दोस्त
क्यूँ के जिंदगी इस पल को फिर से नहीँ दोहराएँगी।
22. दोस्ती प्यार का दरिया
दोस्ती
प्यार का मीठा दरिया है
पुकारता है हमें
आओ, मुझमें नहाओ
डूबकी लगाओ
प्यार का सौंधा पानी
हाथों में भर कर ले जाओ
आओ
जी भर कर गोता लगाओ
मौज-मस्ती की शंख-सीपियाँ
जेबों में भर कर ले जाओ
दोस्ती का दरिया
गहरा है, फैला है
इसमें नहीं तैरती
धोखे की छोटी नौका
कोशिश की तो
बचने का नहीं मिलेगा मौका।
23. सच्चा साथी
कहीं देखा हैं तुमने उसे
जो मुझे सताया करता था
जब भी उदास होती थी मैं
मुझे हँसाया करता था
एक प्यार भरा रिश्ता था वो मेरा
जो मुझे अब भी याद आता हैं
खो गया वक्त के भँवर में कहीं
जो हर पल मेरे साथ होता था
आज एक अजनबी की तरह हाथ मिलाता हैं
जो छोटी से छोटी बात मुझे बताया करता था
कहीं मिले वो किसी मोड़ पर
तो उसे मेरा संदेशा देना
कोई है जो आज भी उसका इंतजार कर रहा है
जिसे वो मेरा सच्चा साथी बोला करता था।
24. जाना पहचाना साथी
वो खुशियों की डगर, वो राहों में हमसफ़र,
वो साथी था जाना पहचाना,
दिल हैं उसकी यादों का दीवाना
वो साथ था जाना पहचाना
गम तो कई उसने भी देखे,
पर राहों में चले खुशियों को लेके
दिल चाहता हैं हर दम हम साथ चलें,
पर इस राह में कई काले बादल हैं घने
वो साथ था जाना पहचाना
मेरे आसुओं को था जिसने थामा,
मुझसे ज्यादा मुझको पहचाना
चारों तरफ था घनघोर अँधियारा,
बनकर आया था जीवन में उजियारा
वो साथ था जाना पहचाना
गिन-गिन कर तारे भी गिन जाऊ,
पर उसकी यादों को भुला ना पाऊ
कहता था अक्सर हर दिन हैं मस्ताना,
हर राह में खुशियों का तराना
वो साथ था जाना पहचाना
कहता हैं मुझे भूल जाना,
अपनी यादों में ना बसाना
देना चाहूँ हर ख़ुशी उसे,
इसीलिए, मिटाना चाहूँ दिल से
वो साथ था जाना पहचाना।
25. साथ निभाने वाला (Poem on Friendship)
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला
अब इसे लोग समझते हैं गिरफ्तार मेरा
सख्त नदीम है मुझे दाम में लाने वाला
क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे इस से
वो जो इक शख्स है मुंह फेर के जाने वाला
मुन्तज़िर किस का हूँ टूटी हुई दहलीज़ पे मैं
कौन आएगा यहाँ कौन है आने वाला
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला।
26. मैं यादों की किताब खोलू तो
मैं यादों की किताब खोलू तो
कुछ हंसते गाते चेहरे नजर आते है,
गौर से देखा तो कुछ दोस्त पुराने याद आते है।
कुछ शहरों के गुलाम हो गए
तो कुछ सपनों के गुलाम हो गए।
यादें और गहरी हुई तो
गुलाल में रंगे कुछ चेहरे याद आते है,
गौर से देखा तो कुछ दोस्त पुराने याद आते है।
धूल को उड़ते और
बारिश की बूंदों को टपकते देखा तो,
कुछ दोस्त पुराने याद आते है।
यादों की किताब के कुछ पन्ने पलटे तो
खट्टे-मीठे बेर और स्कूल के दिन याद आ गए ,
कुछ दोस्त पुराने याद आते है।
27. वो दोस्त ना जाने कहां गुम हो गया
वो दोस्त ना जाने कहां गुम हो गया
बचपन में जो मेरे संग खेला करता था,
जो बारिश में मेरे संग भीगा करता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जब मेरे संग गांव की गलियों में खूब खेला करता था,
जिसके संग जिंदगी जिया करते थे।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसको सब कुछ बता दिया करता था,
जिसके संग खूब हंसी ठिठोली किया करता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसके संग स्कूल जाया करता था,
जिसके संग खाना बांटा करता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसके संग गोलगप्पे खाया करता था,
जिसके संग मेला देखने जाया करता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसके संग बाजारों में घूमा करता था,
जिसके संग फिल्में देखा करता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसकी एक आवाज पर दिल झूम उठता था,
जिसके संग हर पल खुश रहता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जो दोस्ती निभाने का वादा करता था,
जो दोस्त नहीं भाई बोला करता था।
28. दोस्त वो है जो थाम के रखता है हाथ
दोस्त वो है जो थाम के रखता है हाथ
परवाह नहीं उसको कौन है तुम्हारे साथ
उसकी आखों में चमक दिखती है
जब होता है तुम्हारे साथ
गुजर जाता है वक़्त मिनटों में
जब करते हैं उससे बात
दोस्त वो हैं जो सामने आ जाये गर
खुद बयाँ हो जाते हैं दिल के हालत
कुछ सोचना नहीं पड़ता
जब होती है उससे बात
दोस्त वो है जो बिन कहे समझ लेता है हर बात
बस हम छिपा नहीं सकते उससे कोई भी राज
कर देता है हैरान तब और भी
जब मरहलों में बन जाता है ढाल
अपने सारे दर्द ग़म भुला कर
साथ हँसता है सारी रात
उसे कुछ भी नहीं चाहिए तुमसे बस
कुछ पल तुम्हारे साथ का है वह मोहताज़
दोस्त वो है जिससे दोस्ती निभानी नहीं पड़ती
जिसे कोई भी बात समझानी नहीं पड़ती
रूठ भी जाए तो भी नहीं करता नज़रन्दाज़
इसलिए ये रिश्ता होता है हर रिश्ते से ख़ास
कभी वो माँ की तरह समझाता है
तो कभी पिता की तरह डांटता है
कभी- कभी बहन बन कर सताता है
तो कभी भाई की तरह रुलाता है
कभी एक आफ़ताब बन होंसला बढ़ाता है
हमें ग़म और खुशियों से परे ले जाता है
जिसके पास है ऐसा दोस्त
वही मुकम्मल है इस जहाँ में
वही है हयात का सरताज।
29. विरू तेरीं यारी को
विरू तेरीं यारी को
क़भी ना लगें नज़र
नज़र तुम आतें रहना
हम तान सोएगे चद्दर
चद्द़र के अन्दर चन्दामामा
पहन कें आया लन्गोट
ब़ोला कहां छुपा हैं ज़य
तेरा गरीब़ विरू दोस्त
हम बोलें दोस्त सोया
सनी लियोनीं के संग़
दोनो ही गरीब़ बेचारें
सो ब़दन का एक़ ही रंग
चन्दामामा देख़ विरू क़ो
गरीब़ी भांप ग़या
इन्चटेप लेक़र के
पतलून का साइज़ नाप ग़या
किंतु विरू की जरूरते
लगीं पतलून से भी बडी
सनीं लियोनी विरू क़ो
क़र सकती ग़ड़बड़ी
गडबड़ी ना हों
सो ज़य को लग़ाया फोन
ज़य चद्दर मे से ब़ोला
चन्दामामा यह विरू कौन
चन्दामामा ब़ोले दोस्त तुम्हारा
दोस्ती क़ी ज़गह ले रहा हैं
क़म्बख्त अय्याशीं का सहारा
बोलों जिन्दगी ना मिलेगी् दोब़ारा
तो क्या करू अब़ कहा से लाऊ
मै बसन्ती उसक़े लिए
दिन रात रहता हैं पीए
बसन्ती की मौंसी ने होठ सीए
सुन चन्दामामा नें विरू
की खीची ज़ोर ऊपर पतलून
बोलें ब़स ब़हुत हुआ
सनी के साथ तुम्हारा हनींमून
यह देख़ विरू बोला चन्दामामा
बसन्ती को कोईं छिन नही सकता
बाडी इसका हर दर्दं की दवा
यह मेरें नसीब़ मे है लिख़ा
देख़ चन्दा मामा फ़िर से
ज़य को सारी ब़ात बताया
ज़य ने भीं दोस्त को ब़चाने का
बीडा सिर पर उठाया
और तुरन्त रात हैं रात मे
बसन्ती को किड्नैप किया
फ़िर अपने प्यारे दोस्त
विरू को फ़ोन किया
ब़ोला देख़ विरू तेरी बसन्ती
अब़ है गब्ब़र गिरफ्त मे
इज्ज़त ब़चाने आयेगा
क़ाली पहाडी के नीचें वक्त मे
सुनतें ही विरू का ख़ून ख़ोला
अक़ेला विरू ही काफी विरू बोला
और सनीं को एक़ तरफ़ पटक
निक़ला पहाडी को बिज़ली जैसा कड़क।
30. क्या खब़र तुमक़ो दोस्ती क्या हैं
क्या खब़र तुमक़ो दोस्ती क्या हैं
ये रौशनी भी हैं और अन्धेरा भी हैं
दोस्ती एक़ हसीं ख़्वाब़ भी हैं
पास से देख़ो तो शराब़ भी हैं
दुख़ मिलनें पर ये अज़ब भी हैं
और यह प्यार का जवाब़ भी हैं
दोस्ती यूं तो मायाज़ाल हैं
एक़ हकीक़त भी है ख्याल भीं हैं
कभीं जमी कभीं फलक भी हैं
दोस्ती झूठ भी हैं सच भी हैं
दिल मे रह जायें तो कसक़ भी हैं
कभीं ये हर भी है ज़ीत भी हैं
दोस्ती साज़ भी है संगीत भीं हैं
शेर भी नमाज भी गीत भी हैं
वफा क्या हैं वफा भी दोस्ती हैं
दिल से निक़ली दुआ भी दोस्ती हैं
ब़स ईतना समझ़ ले तू
एक़ अनमोल हीरा हैं दोस्ती।
निष्कर्ष-
तो दोस्तों ये है कुछ सबसे अच्छी दोस्ती पर कविताएँ (Poem on Friendship in Hindi) जिन्हे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते है। आप इन Poem on Friendship in Hindi को यहाँ से कभी भी देख सकते हैं। और शेयर भी कर सकते हैं। जय हिन्द!