21 Short Stories in Hindi with Moral for Kids (2024)

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अगर आप भी अपने बच्चों के लिए Short Stories in Hindi की तलाश में हैं तो, यहाँ पर आपकी तलाश ख़तम होगी। यहाँ पर हम आपको short stories in hindi बताने वाले हैं।

आजकल हमारे और आपके बच्चे मोबाइल पर ज्यादा समय व्यतीत करते हैं, तो ऐसे में हमारी भी ये जिम्मेदारी बनती है की हम उनपर ध्यान रखें की, वो मोबाइल में क्या देख रहे हैं।

बच्चों को बचपन से ही हमे अच्छे संस्कार और अच्छी बाते बतानी चाइये ताकि बड़े होकर वो एक अच्छे व्यक्ति बन सकें। ताकि उनके साथ-साथ पूरे विश्व का भी भला हो सके।

इसलिए आपको हम आप कुछ अच्छी मोरल स्टोरी (Short Stories in Hindi) हिंदी में यहाँ पर देने वाले वाले हैं, जिन्हे आप अपने बच्चों को सुना सकते हैं, या फिर उन्हें पढ़ा सकते हैं। और उन्हें अच्छी शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।

Table of Contents

Best Short Stories in Hindi 2024

निचे आप Short Stories in hindi अपने बच्चों को सुना सकते हैं। इन Short Hindi Stories को पढ़कर बच्चे बहोत अच्छी-अच्छी बातें सिखेंगे।

तो आइए आगे पढ़ते हैं हिंदी में कुछ शार्ट स्टोरीज (Short Stories)।

1. चींटी और कबूतर की कहानी (Pigeon and The Ant Story in HIndi)

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एक दिन चींटी पानी की तलाश में थी। कुछ देर बाद वह एक नदी के पास पहुँचती है। वह पानी पीना चाहती है, लेकिन वह उस तक नहीं पहुंच पाती है। फिर उसने देखा कि एक लंबी घास पानी में तैर रही है। वह जल्दी से उस पर चढ़ जाती है। अचानक उसका पैर फिसल गया और वह पानी में गिर जाती है।

नदी के ऊपर उड़ते एक कबूतर ने उसे संकट में देखा। उसने जल्दी से एक पत्ता ढूंढा और उसे चींटी के पास जाकर छोड़ दिया। चींटी उस पर चढ़ जाती है और कबूतर उसे झील के किनारे ले जाता है।

उसी समय, एक शिकारी ने कबूतर को देखा और उसे पकड़ने के लिए अपना जाल निकाला है। जब वह उसकी ओर आ रहा था, तो चींटी ने शिकारी को देखा और चेतावनी देने के लिए उसके पैर पर काट लिया। फिर कबूतर ने अचानक छलांग लगाता है और उड़ जाता है।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम बिना स्वार्थ के अगर किसी की मदद करते हैं, तो मुश्किल में हमे भी मदद मिलती है।

2. सुनहरे अंडे की कहानी (Golden Egg Short Story in Hindi)

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एक बार की बात है, एक किसान के पास एक मुर्गी थी जो हर दिन एक सोने का अंडा देती थी। अंडे ने किसान और उसकी पत्नी को उनकी दिन-प्रतिदिन की जरूरतों के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया।

किसान और उसकी पत्नी बहुत दिनों तक खुश रहे। लेकिन एक दिन, किसान को एक विचार आया और उसने सोचा, “मैं एक दिन में सिर्फ एक अंडा से इतना पैसा कमा सकता हूँ, तो मैं उन सभी को एक साथ क्यों नहीं ले सकता और ढेर सारा पैसा क्यों नहीं बना सकता?”

इस बात को लेकर किसान अपनी पत्नी से बात करता है, और मूर्ख किसान की पत्नी भी ये बात मान जाती है। और अंडे के लिए बत्तख का पेट काटने का फैसला दोनों करते हैं।

जैसे ही उन्होंने मुर्गी को मारा और मुर्गी का पेट खोला, तो उन्हें खून के अलावा कुछ नहीं मिला। किसान को जल्दी ही अपनी मूर्खतापूर्ण गलती का एहसास हुआ और वह अपने खोए हुए संसाधन पर रोने लगा। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, किसान और उसकी पत्नी और भी गरीब होते गए।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

किसी भी कार्य को करने से पहले एक बार जरूर सोचें।

3. शेर और चूहे की कहानी (Lion and Mouse Short Story in Hindi)

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एक बार की बात है एक जंगल में एक शेर और एक चूहा रहते थे। शेर बहुत ही शक्तिशाली और ज़िद्दी था, जबकि चूहा छोटा और चालाक था। दिनभर शेर चूहे को धूप में चारों ओर घुमाते और डराते रहता था। एक दिन चूहे ने सोचा कि वह शेर को दिखाएगा कि वह भी बहुत ही बहादुर और दिमाग वाला है।

चूहे ने अपनी चालाकी का इस्तेमाल करते हुए शेर के पास जाकर कहा, “आपके साम्राज्य में एक खजाना है, जिसमें बहुत सारे सोने के टुकड़े हैं। मैं आपको वह दिखा सकता हूँ, लेकिन उसके लिए आपको मेरे साथ आना होगा।”

शेर उत्साहित हो जाता है और चूहे के पीछे चला पड़ता है। चूहा शेर को एक घाट पर ले जाता है, जहां एक नदी बह रही होती है। फिर चूहा शेर से कहता है की, “देखो, आपका खजाना यहीं नदी के नीचे है। आप जाकर उसे निकाल सकते हैं, लेकिन आपको पहले अपने पैरों को पानी में डालना होगा।”

शेर बहुत खुश हुआ और पैरों को पानी में डाल दिया। चूहे ने देखते ही देखते शेर के पास से निकल कर जाते हुए कहा, “हा-हा! तुम्हें धोखा दिया गया! अब मैं तुम्हारे ऊपर कूद सकता हूँ।”

शेर चूहे को छोड़ कर वापस आया, लेकिन उसने एक महत्वपूर्ण सबक सीख लिया। वह समझ गया कि बिना सतर्कता और सोच-समझ के, वह धोखा खा सकता था। चूहे ने अपनी चालाकी के माध्यम से शेर को अपनी बेवकूफियों पर विजय प्राप्त की।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सामरिक शक्ति के साथ-साथ बुद्धिमानी और सतर्कता भी बहुत महत्वपूर्ण होती हैं।

4. खरगोश और कछुआ (The Rabbit and The Turtle)

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एक वक्त की बात है, एक घने जंगल में एक खरगोश रहता था, जिसे अपने तेज दौड़ने और बुद्धि पर बहुत घमंड था। उसे जंगल में जो दिखता, वो उसी को अपने साथ दौड़ लगाने की चुनौती दे देता था। दूसरे जानवरों के बीच वो हमेशा खुद की तारीफ करता और कई बार दूसरे का मजाक भी उड़ाता।

एक बार उसे एक कछुआ दिखा, उसकी सुस्त चाल को देखते हुए खरगोश ने कछुए को भी दौड़ लगाने की चुनौती दे दी। कछुए ने खरगोश की चुनौती मान ली और दौड़ लगाने के लिए तैयार हो गया। जंगल के सभी जानवर कछुए और खरगोश की दौड़ देखने के लिए जमा हो गए। दौड़ शुरू हो गई और खरगोश तेजी से दौड़ने लगा और कछुआ अपनी धीमी चाल से आगे बढ़ने लगा।

थोड़ी दूर पहुंचने के बाद खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा, तो उसे कछुआ कहीं नहीं दिखा। खरगोश ने सोचा, कछुआ तो बहुत धीरे-धीरे चल रहा है और उसे यहां तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाएगा, क्यों न थोड़ी देर आराम ही कर लिया जाए। यह सोचते हुए वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा।

पेड़ के नीचे सुस्ताते-सुस्ताते कब उसकी आंख लग गई, उसे पता भी नहीं चला। उधर, कछुआ धीरे-धीरे और बिना रुके लक्ष्य तक पहुंच गया। उसकी जीत देखकर बाकी जानवरों ने तालियां बजानी शुरू कर दी।

तालियों की आवाज सुनकर खरगोश की नींद खुल गई और वो दौड़कर जीत की रेखा तक पहुंचा, लेकिन कछुआ तो पहले ही जीत चुका था और खरगोश पछताता रह गया, की उसकी बेवकूफी से वो हार गया।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इससे हमे यही सीख मिलती है कि जो धैर्य और मेहनत से काम करता है, उसकी जीत पक्की होती है, और जिन्हें खुद पर या अपने किए हुए कार्य पर घमंड होता है, उसका घमंड टूटता जरूर है।

5. हाथी और शेर की कहानी (Lion and Elephant Story)

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एक बार एक जंगल में एक शेर अकेला बैठा हुआ था। वह अपने बारे में सोच रहा था कि मेरे पास तो तेज धारदार मजबूत पंजे और दांत हैं। साथ ही मैं एक बहुत ही ताकतवर जानवर भी हूं, लेकिन फिर भी जंगल के सारे जानवर हमेशा मोर की ही तारीफ क्यों करते रहते हैं। दरअसल, शेर को इस बात से बहुत जलन महसूस होती थी कि सभी जानवर मोर की तारीफ करते थे।

जंगल के सभी जानवर कहते थे कि मोर जब भी अपने पंख फैलाकर नाचता है, तो वह बहुत सुंदर लगता है। यही सब सोचकर शेर बहुत दुखी हो रहा था। वह सोच रहा था कि इतना ताकतवर होने और जंगल का राजा होने पर भी कोई उसकी तारीफ नहीं करता है। ऐसे में उसके इस जीवन का क्या मतलब है। तभी वहां से एक हाथी जा रहा था। वह भी काफी दुखी था।

जब शेर ने उस दुखी हाथी को देखा, तो उससे पूछा – “तुम्हारा शरीर इतना बड़ा है और तुम ताकतवर भी हो। फिर भी इतने दुखी क्यों हो? तुम्हें क्या परेशानी है?” दुखी हाथी को देखकर शेर ने सोचा कि क्यों न मैं इस हाथी के साथ अपना दुख बांट लूं।

उसने आगे कहते हुए हाथी से पूछा – “कि क्या इस जंगल में ऐसा कोई जानवर है, जिससे तुम्हें जलन होती हो और वह तुम्हें हानि पहुंचाता हो?” शेर की बात सुनकर हाथी ने कहा – “जंगल का सबसे छोटा जानवर भी मुझ जैसे बड़े जानवर को परेशान कर सकता है।”

शेर ने पूछा – “वह कौन सा छोटा जानवर है?” हाथी ने कहा – “महाराज, वो जानवर चींटी है।

वह इस जंगल में सबसे छोटी है, लेकिन जब भी वो मेरे कान में घुसती है, तो मैं दर्द के मारे पागल हो जाता हूं।” हाथी की बात सुनकर शेर को समझ में आ गया कि मोर तो मुझे चींटी की तरह परेशान भी नहीं करता है, फिर भी मुझे उससे जलन होती है।

भगवान ने सभी प्राणियों को अलग-अलग खामियां और खूबियां दी हैं। इसी वजह से सारे प्राणी एक जैसे ही ताकतवर या कमजोर नहीं हो सकते हैं। इस तरह शेर को यह समझ में आ गया कि उस जैसे ताकतवर जानवर में भी खूबियों के साथ कमियां हो सकती है। इससे शेर के मन में उसका खोया हुआ आत्मविश्वास फिर से बढ़ गया और उसने मोर से जलन करना बंद कर दिया।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें ये सीखने मिलता है की, कभी भी किसी की खूबी को देखकर उससे नहीं जलना चाहिए, क्योंकि हम सभी में अलग-अलग खूबियां और खामिंया होती है।

6. चतुर सियार और शेर की कहानी (Lion And The Jackal Story In Hindi)

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एक बार मधुवन नाम के जंगल में एक बलवान शेर रहा करता था। शेर रोज शिकार करने के लिए नदी के किनारे जाया करता था। एक दिन जब नदी के किनारे से शेर लौट रहा था, तो उसे रास्ते में सियार दिखाई दिया। शेर जैसे ही सियार के पास पहुंचा, सियार शेर के कदमों में लेट गया। शेर ने पूछा अरे भाई! तुम ये क्या कर रहे हो।

सियार बोला, “आप बहुत महान हैं, आप जंगल के राजा हैं, मुझे अपना सेवक बना लीजिए। मैं पूरी लगन और निष्ठा से आपकी सेवा करूंगा। इसके बदले में आपके शिकार में से जो कुछ भी बचेगा मैं वो खा लिया करूंगा।” शेर ने सियार की बात मान ली और उसे अपना सेवक बना लिया। अब शेर जब भी शिकार करने जाता, तब सियार भी उसके साथ जाता था।

इस तरह एक साथ समय बिताने से दोनों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती हो गई। सियार, शेर के शिकार का बचा खुचा मांस खाकर बलवान होता जा रहा था। एक दिन सियार ने शेर से कहा, “अब तो मैं भी तुम्हारे बराबर ही बलवान हो गया हूं, इसलिए मैं आज हाथी पर वार करूंगा। जब वो मर जाएगा, तो मैं हाथी का मांस खाऊंगा। मेरे से जो मांस बच जाएगा, वो तुम खा लेना।

शेर को लगा कि सियार दोस्ती में ऐसा मजाक कर रहा है,” लेकिन सियार को अपनी शक्ति पर कुछ ज्यादा ही घमंड हो चला था। सियार पेड़ पर चढ़कर बैठ गया और हाथी का इंतजार करने लगा। शेर को हाथी की ताकत का अंदाजा था, इसलिए उसने सियार को बहुत समझाया, लेकिन वो नहीं माना।तभी उस पेड़ के नीचे से एक हाथी गुजरने लगा।

सियार हाथी पर हमला करने के लिए उस पर कूद पड़ा, लेकिन सियार सही जगह छलांग नहीं लगा पाया और हाथी के पैरों में जा गिरा। हाथी ने जैसे ही पैर बढ़ाया वैसे ही सियार उसके उसके पैर के नीचे कुचला गया। इस तरह सियार ने अपने दोस्त शेर की बात न मानकर बहुत बड़ी गलती की और अपने प्राण गंवा दिए।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

हमे सिखने मिला की कभी भी अपनी किसी बात पर घमंड नहीं करना चाहिए, और ना ही अपने सच्चे दोस्त को नीचा नहीं दिखाना चाहिए।

7. तीन मछलियां स्टोरी (Teen Fish Story Hindi)

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एक बार की बात है, एक घने जंगल के अंदर बड़ा-सा तालाब था। उस तालाब में बहुत सारी मछलियां रहती थीं, जिनमें से तीन मछलियां एक-दूसरे की पक्की दोस्ती थीं। इन तीनों का स्वभाव बिलकुल अलग था। इनमें से दो बहुत समझदार थीं। पहली संकट आने के पहले ही अपना बचाव कर लेती थी। दूसरी संकट आने पर अपनी सुरक्षा कर लेती थी, जबकि तीसरी सब कुछ भाग्य पर छोड़ देती थी।

तीसरी मछली कहती कि अगर भाग्य में संकट होगा, तो हम कुछ नहीं कर सकते और भाग्य में नहीं होगा, तो कोई भी हमारा कुछ नहीं कर सकता। एक दिन रास्ते से गुजर रहे एक मछुआरे ने उस तालाब को देख लिया। उसने देखा कि तालाब मछलियों से भरा पड़ा है। उसने तुरंत अपने बाकी साथियों को इस बारे में बताया।

मछुआरे और उसके साथियों ने अगली सुबह यहां आने और उन मछलियों को पकड़ने का फैसला किया, लेकिन मछली ने मछुआरे और उसके साथियों के बीच की बातचीत सुन ली थी। उसने तुरंत तलाब में रहने वाली सभी मछलियों को इकट्ठा किया और सारी बात बता दी। पहली मछली बोली कि हो सकता है कि कल मछुआरे आकर हमें जाल में पकड़ कर ले जाएं।

उससे पहले ही हमें यह स्थान छोड़ देना चाहिए। तभी तीसरे नंबर की मछली बोली कि अगर वो कल नहीं आए तो? यह हमारा घर है, हम कैसे इसे छोड़ कर जा सकते हैं। अगर भाग्य में लिखा होगा, तो हम कहीं भी हों मारे जाएंगे और नहीं लिखा होगा, तो हमें कुछ नहीं होगा। कुछ मछलियों ने तीसरे नंबर की मछली की बात मान ली और वहीं रुक गईं।

अन्य दो मछलियां तीसरी मछली को समझाने में असमर्थ थीं, इसलिए उन्होंने बाकी मछलियों के साथ तालाब छोड़ दिया। अगले दिन, मछुआरे और उसके साथियों ने अपना जाल डाला। जो मछलियां रह गईं थीं वे सभी पकड़ी गईं। जो मछलियां भाग गईं थीं उन सभी की जान बच गई और जो तालाब में रुक गईं थी वे सभी मछुआरों के द्वारा पकड़ ली गईं। मछुआरे ने उन्हें एक टोकरे में डाल दिया, जहां सभी तड़प तड़प के मर गईं।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमे ये सीख मिली की कभी भी भाग्य के भरोसे नहीं रहना चाहिए। संकट आने के पहले ही उसे दूर करने का उपाय खोजकर रखना चाहिए।

8. लोमड़ी और अंगूर की कहानी (Fox And Grapes Story Hindi)

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एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह खाने की तलाश में इधर-उधर भटकने लगी। काफी समय तक घूमने के बाद भी उसे खाने को कुछ भी न मिला, तभी उसकी नजर पास के एक बाग पर पड़ी। बाग बहुत ही सुन्दर और हरा-भरा था। उस बाग से बड़ी ही मीठी सुगंध आ रही थी। उसे एहसास हो चला कि अब उसकी खाने की तलाश जल्द ही खत्म होने वाली है। वह तेजी से बाग की ओर अपने कदम बढ़ाने लगी।

जैसे-जैसे वह कदम आगे बढ़ाती, बाग से आने वाली महक और भी तेज होती जाती। उसने मन ही मन सोचा कि इस बाग में कुछ तो खास होगा, जो उसे खाने को मिलेगा। इसी सोच के साथ वह और तेजी से आगे बढ़ने लगी। जैसे ही वह बाग में पहुंची, तो उसने देखा कि बाग तो अंगूर की बेलों से लदा हुआ है। सभी अंगूर पूरी तरह से पक चुके हैं।

अंगूर देखकर उसकी आंखें चमक उठीं। अंगूरों की महक से उसने इस बात का अंदाजा लगा लिया कि अंगूर कितने रसदार और मीठे होंगे। वह इतनी उतावली हो चली कि मानो एक ही बार में बाग के सारे अंगूर खा जाएगी। उसने झट से अंगूरों को लक्ष्य बनाकर एक लंबी छलांग मारी, लेकिन वह अंगूरों तक पहुंच नहीं सकी और धड़ाम से जमीन पर आ गिरी। उसका पहला प्रयास विफल हुआ।

उसने सोचा क्यों न फिर से कोशिश की जाए। वह एक बार फिर जोश से उठी और इस बार उसने अपनी पूरी ताकत से पहले से तेज अंगूरों की ओर छलांग लगा दी, लेकिन अफसोस कि उसका यह प्रयास भी बेकार गया। इस बार भी वह अंगूरों तक पहुंचने में नाकामयाब रही, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने खुद से कहा कि अगर दो प्रयास विफल हो गए तो क्या, इस बार तो सफलता मुझे मिलकर ही रहेगी।

फिर क्या था, इस बार फिर वह दोगुने जोश के साथ खड़ी हुई। इस बार उसने अब तक की सबसे लंबी छलांग लगाने की कोशिश की। उसने अपने शरीर की सारी ताकत को एकत्र कर एक लंबी दौड़ लगाई। उसे लगा था कि इस बार उसे अंगूर पाने से कोई नहीं रोक सकता, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस बार का प्रयास भी खाली गया।

वह जमीन पर आ गिरी। इतने जतन करने के बावजूद वह एक भी अंगूर हासिल नहीं कर पाई। ऐसे में उसने अंगूर पाने की अपनी आस छोड़ दी और हार मान ली। अपनी विफलता को छिपाने के लिए उसने खुद ही बोला कि अंगूर खट्टे हैं, इसलिए इन्हें मुझे नहीं खाना।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, कि अगर हम बिना सही प्रयास के किसी चीज को पाने में असमर्थ हैं, तो हमें उस चीज को लेकर गलत राय नहीं बनानी चाहिए।

9. कौवा और कोयल की कहानी (Crow and Cuckoo Story Hindi)

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एक घना जंगल था, वहाँ एक बड़ा-सा बरगद का पेड़ था, जिसपर एक कौवा और एक कोयल दोनों अपने-अपने घोंसले में रहते थे। एक रात उस जंगल में तेज़ आँधी चलने लगी। देखते-ही-देखते बारिश शुरू हो गई। कुछ ही देर में जंगल का जो भी था सब बर्बाद हो गया। अगले दिन कौवे और कोयल को अपनी भूख मिटाने के लिए कुछ भी नहीं मिला।

तभी कोयल ने कौवे से कहा, “हम इतने प्यार से इस जंगल में रहते हैं, लेकिन अब हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है। तो क्यों न जब मैं अंडा दूँ, तो तुम उसे खाकर अपनी भूख मिटाना और जब तुम अंडा दोगे, तो उसे खाकर मैं अपनी भूख मिटा लूंगी?” कौवे ने कोयल की बात पर सहमती जताई। संयोग से सबसे पहले कौवे ने अंडा दिया और कोयल ने उसे खाकर अपनी भूख मिटा ली। फिर कोयल ने अंडा दिया। कौवा जैसे ही कोयल का अंडा खाने लगा तो कोयल ने उसे रोक दिया।

कोयल ने कहा, “तुम्हारी चोंच साफ नहीं है। तुम इसे धोकर आओ। फिर अंडा खाना।” भागकर कौवा नदी के किनारे गया। उसने नदी से कहा, “तुम मुझे पानी दो। मैं अपनी चोंच धोकर कोयल का अंडा खाऊँगा।” नदी बोली, “ठीक है! पानी के लिए तुम एक बर्तन लेकर आओ।” अब कौवा जल्दी से कुम्हार के पास पहुँचा। उसने कुम्हार से कहा, “मुझे घड़ा दे दो। उसमें मैं पानी भर कर अपनी चोंच धोऊंगा और फिर कोयल का अंडा खाऊंगा।” कुम्हार ने कहा, “तुम मुझे मिट्टी लाकर दो, मैं तुम्हें बर्तन बनाकर दे देता हूँ।”

यह सुनते ही कौवा, धरती माँ से मिट्टी माँगने लगा। वो बोला, “माँ मुझे मिट्टी दे दो। उससे मैं बर्तन बनवाऊंगा और उस बर्तन में पानी भरकर अपनी चोंच साफ करूंगा। फिर अपनी भूख मिटाने के लिए कोयल का अंडा खाऊंगा।” धरती माँ बोली, “मैं मिट्टी दे दूंगी, लेकिन तुम्हें खुरपी लानी होगी। उसी से खोदकर मिट्टी निकलेगी।” दौड़ते हुए कौवा लोहार के पास पहुँचा।

उसने लोहार से कहा, “मुझे खुरपी दे दो। उससे मैं मिट्टी निकालकर कुम्हार को दूंगा और बर्तन लूंगा। फिर बर्तन में पानी भरूंगा और उस पानी से अपनी चोंच धोकर कोयल का अंडा खाऊंगा।” लोहार ने गर्म-गर्म खुरपी कौवे को दे दी। जैसे ही कौवे ने उसे पकड़ा उसकी चोंच जल गई और कौवा तड़पते हुए मर गया। इस तरह चतुराई से कोयल ने अपने अंडे कौवे से बचा लिए।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमे यह सीख देती है कि दूसरों पर आँख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए। इससे नुकसान खुद का ही होता है।

10. सूर्य और वायु की कहानी हिंदी में (Sun And Wind Story Hindi)

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एक बार की बात है, एक दिन सूर्य और हवा में अचानक विवाद होने लगा। दोनों इस बात पर बहस करने लगें की उन दोनों में सबसे अधिक शक्तिशाली कौन है। वायु बड़ी ही घमंडी और जिद्दी स्वाभाव की थी। उसे अपनी शक्ति पर बड़ा ही गुरूर था। उसका मानना था कि वह अगर तेज गति से बहने लगे, तो बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़ सकती है।

उसमें मौजूद आर्द्रता नदियों और झीलों के पानी को भी जमा सकती है। अपने इसी घमंड के चलते वायु ने सूर्य से बहस करते हुए कहा – “मैं तुमसे ज्यादा शक्तिशाली हूं। मैं चाहूं तो किसी को भी अपने झोंके से हिला सकती हूं।

”सूर्य ने हवा की बात मानने से इंकार कर दिया और कहा बड़े ही शांत तरीके से कहा – “देखो कभी भी अपने पर घमंड नहीं करना चाहिए।” हवा यह सुनकर चिढ़ गई और खुद को ज्यादा शक्तिशाली बताती रही। इस पर दोनों आपस में बहस कर ही रहे थे कि उन्हें तभी रास्ते में एक आदमी दिखाई दिया। उस आदमी ने कोट पहना हुआ था।

उसे देखकर सूर्य के मन में एक योजना आई। उसने हवा से कहा – “जो भी इस आदमी को उसका कोट उतारने के लिए मजबूर कर देगा, उसे ही अधिक शक्तिशाली माना जाएगा।” हवा ने बात मान ली और कहा – “ठीक है। सबसे पहले मैं कोशिश करूंगी। तब तक तुम बादलों में छिप जाओ।” सूर्य बादलों के पीछे छिप गया। फिर हवा बहने लगी।

वह धीमे-धीमे बहने लगी, लेकिन उस आदमी ने अपना कोट नहीं उतारा। फिर वह तेजी से बहने लगी। हवा तेज होने की वजह से उस आदमी को ठंड लगने लगी और उसने अपने कोट से शरीर को अच्छे से लपेट लिया। बहुत देर तक ठंडी और तेज हवा बहती रही, लेकिन उस आदमी ने अपना कोट नहीं उतारा। अंत में हवा थककर शांत हो गई। इसके बाद सूर्य की बारी आई।

वह बादलों से बाहर निकला और हल्की धूप करके चमकने लगा। हल्की धूप होते ही उस व्यक्ति को ठंड के तापमान से थोड़ी राहत मिली, तो उसने अपना कोट ढीला कर दिया। इसके बाद फिर सूर्य तेजी से चमकने लगा और तेज धूप निकल गई। तेज धूप होते ही आदमी को गर्मी लगने लगी और उसने अपना कोट उतार दिया। जब हवा ने यह देखा, तो वह खुद पर शर्मिंदा होने लगी और उसने सूर्य के सामने अपनी हार मान ली। इस तरह घमंडी वायु का अंहकार भी टूट गया।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमे सिखने को मिलता है की खुद की योग्यता व ताकत पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि घमंड करने वालों की कभी जीत नहीं होती है।

11. लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी (The Woodcutter and the Golden Axe Story in Hindi)

एक बार एक लकड़हारा जंगल में एक पेड़ काट रहा था, तो उसकी कुल्हाड़ी गलती से नदी में गिर गयी। नदी बहुत गहरी थी और बहुत तेज़ बह रही थी जिस कारन से उसने अपनी कुल्हाड़ी खो दी और उसे दोबारा नहीं पा सका। वह नदी के किनारे बैठ गया और रोने लगा।

लकड़हारा जब वह रो रहा था तभी नदी के देवता उठे और उससे पूछा कि क्या हुआ। लकड़हारे ने रोते हुए अपनी बात सुनाई। नदी के देवता ने उसकी कुल्हाड़ी ढूंढ़कर उसकी मदद करने की बात कही और फिर नदी के देवता में गायब हो गए और एक सोने की कुल्हाड़ी ले आये, लेकिन लकड़हारे ने कहा कि यह उसकी नहीं है।

वह फिर गायब हो गए और चांदी की कुल्हाड़ी लेकर लौटे, लेकिन लकड़हारे ने कहा कि यह भी उसकी नहीं है। नदी के देवता फिर से पानी में गायब हो गए और लोहे की कुल्हाड़ी लेकर वापस आए फिर लकड़हारा मुस्कुराया और कहा कि यह लोहे की कुल्हाड़ी उसकी है। भगवान लकड़हारे की ईमानदारी से खुश हुए और उसे सोने और चांदी की दोनों कुल्हाड़ियाँ उपहार में दे दी।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमे सीख मिलती है की ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है। हमें हमेशा ईमानदारी के रास्ते पर चलना चाहिए।

12. हाथी और उसके दोस्तों की कहानी (Elephant and His Friends Story in Hindi)

बहुत समय पहले की बात है, एक अकेला हाथी एक अजीब जंगल में बसने आया.. यह जंगल उसके लिए नया था, वह अकेला था इसलिए वह दोस्त बनाने के लिए देख रहा था। वो सबसे पहले एक बंदर से मिला और कहा, “नमस्ते, बंदर भैया ! क्या आप मेरे दोस्त बनना चाहेंगे? ” तो बंदर ने कहा, तुम मेरी तरह झूल नहीं सकते क्योंकि तुम बहुत बड़े हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता।

इसके बाद हाथी एक खरगोश के पास गया और वही सवाल खरगोश से पूछा की क्या आप मेरे दोस्त बनना चाहेंगे? खरगोश ने कहा, तुम बहुत बड़े हो, तुम मेरे बिल में नहीं आ पाओगे, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता। फिर हाथी तालाब में रहने वाले मेंढक के पास गया और मेंढक से भी वही सवाल पूछा, मेंढक ने हाथी को जवाब दिया, तुम मेरे जितना ऊंची कूदने के लिए बहुत भारी हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता।

अब हाथी वास्तव में उदास था क्योंकि वह बहुत कोशिशों के वाबजूद दोस्त नहीं बना सका। फिर, एक दिन हाथी ने, सभी जानवरों को जंगल में इधर उधर दौड़ते देखा, ये देखकर हाथी ने दौड़ रहे एक भालू से पूछा कि इस इधर उधर दौड़ने के पीछे का कारण क्या है। भालू ने कहा, जंगल का शेर शिकार पर निकला है – इसलिए वे खुद को उससे बचाने के लिए भाग रहे हैं, ऐसे में हाथी शेर के पास गया और कहा कि कृपया इन निर्दोष लोगों को चोट मत पहुंचाओ, कृपया उन्हें अकेला छोड़ दो।

शेर ने उसका मजाक उड़ाया और हाथी को एक तरफ चले जाने को कहा, तभी हाथी को गुस्सा आ गया और उसने शेर को उसकी सारी ताकत लगाकर धक्का दे दिया, जिससे वह घायल हो गया और वहां से भाग गया। अब बाकी सभी जानवर धीरे-धीरे बाहर आ गए और शेर की हार को लेकर आनंदित होने लगे, वे हाथी के पास गए और उससे कहा, “तुम्हारा आकार एकदम सही है हमारा दोस्त बनने के लिए !”

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की एक व्यक्ति का आकार उनके मूल्य का निर्धारण नहीं करता है।

13. चींटी और टिड्डा की कहानी (The Ant and the Grasshopper Story in Hindi)

एक बार की बात है। गर्मी का मौसम था और एक चींटी कड़ी मेहनत से अपने लिए अनाज जुटा रही थी। दरअसल, चींटी यह सोच रही थी कि धूप तेज हो जाए, इससे पहले क्यों न अपना काम पूरा कर लिया जाए। चींटी कई दिनों से इस काम में जुटी थी। वह रोजाना खेत से दाने उठाकर अपने बिल में जमा करती थी। एक दिन वह यही काम में जुटी थी की वहीं, पास में ही एक टिड्डा फुदक रहा था। गाने गाकर मस्ती में वह नाच रहा था। जिंदगी के मजे ले रहा था।

पसीने से तरबतर चींटी अनाज ढोते-ढोते थक चुकी थी। पीठ पर अनाज लेकर बिल की तरफ जा रही थी, तभी टिड्डा फुदककर उसके सामने आ गया। और टिड्डे ने चींटी से बोला, प्यारी चींटी… क्यों इतनी मेहनत कर रही हो। आओ मजे करें। चींटी ने टिड्डे को नजरअंदाज किया और खेत से एक-एक दाना उठाकर अपने बिल में जमा करती रही। मस्ती में डूबा टिड्डा चींटी को देखकर हंसता और मजाक उड़ाता।

उछलकर उसके रास्ते में आकर कहता, प्यारी चींटी आओ मेरा गाना सुनो। कितना बढ़िया मौसम है। ठंडी हवा चल रही। सुनहरी धूप है। क्यों मेहनत करके इस खूबसूरत दिन को बर्बाद कर रही हो। टिड्डा की हरकतों से चींटी परेशान हो गई। उसने टिड्डा को समझाते हुए कहा, सुनो टिड्डा- ठंड का मौसम कुछ दिन बाद ही आने वाला है। तब खूब बर्फ गिरेगी। कहीं भी अनाज नहीं मिलेगा। मेरी सलाह है, तुम भी अपने खाने का इंतजाम कर लो।

धीरे-धीरे गर्मी का मौसम खत्म हो गया। मस्ती में डूबे टिड्डे को पता ही नहीं चला कि गर्मी कब खत्म हो गई। बारिश के बाद ठंड आ गई। कोहरे और बर्फबारी की वजह से बड़ी मुश्किल से सूर्य के दर्शन हो रहे थे। टिड्डे ने अपने खाने के लिए बिल्कुल भी अनाज नहीं जुटाया था। हर ओर बर्फ की मोटी चादर पड़ी थी। भूख से टिड्डा तड़पने लगा।

टिड्डे के पास बर्फबारी और ठंड से बचने का भी इंतजाम नहीं था। तभी उसकी नजर चींटी पर पड़ी। अपनी बिल में चींटी मजे से जमा किए हुए अनाज खा रही थी। तब टिड्डे को एहसास हुआ कि समय को बर्बाद करने का फल मुझे मिल चुका है। भूख और ठंड से तड़पते टिड्डे की चींटी ने फिर मदद की। खाने के लिए उसे कुछ अनाज दिए। चींटी ने ठंड से बचने के लिए खूब घास-फूस जुटाए थे। उसी से टिड्डे को भी अपना घर बनाने के लिए कहा।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की अपने काम को मेहनत और लगन के साथ करना चाहिए। उस वक्त भले ही लोग मजाक उड़ाएं, लेकिन बाद में वे ही तारीफ करेंगे।

14. लालची शेर की कहानी (The Greedy Lion Story in Hindi)

एक जंगल में एक शेर रहता था। शेर अक्सर अपनी भूख मिटाने के लिए जंगल के जानवर को खा जाता था। एक दिन उसे बहुत भूख लगी। वह गुफा से बाहर आया और किसी जानवर की तलाश करने लगा। उसे दूर एक पेड़ के नीचे एक खरगोश दिखाई दिया। खरगोश पेड़ की छाया में मज़े से खेल रहा था। शेर खरगोश को पकड़ने के लिए आगे बढ़ा। खरगोश ने शेर को अपनी ओर आते हुए देखा, तो वह जान बचाने के लिए भागने लगा।

शेर ने उसका पीछा किया और लपककर उसे धर दबोचा। शेर ने जैसे ही मारने के लिए पंजा उठाया कि शेर की निगाह हिरन पर पड़ी। शेर ने सोचा कि इस नन्हे खरगोश से मेरा पेट नहीं भर सकता। इससे अच्छा तो हिरन ही रहेगा।

शेर ने खरगोश को छोड़ दिया। वह हिरन का पीछा करने लगा। हिरन ने शेर को देखा, तो जोर -जोर से छलांग लगाता हुआ भाग खड़ा हुआ। शेर हिरन को नहीं पकड़ सका। उसके पीछे भागते -भागते शेर थककर चूर हो गया। अंत में उसने हिरन का पीछा करना छोड़ दिया। खरगोश भी हाथ से गया और हिरन भी उसे नहीं मिला। अब शेर खरगोश को छोड़ देने के लिया पछताने लगा।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की कभी भी हमें लालच नहीं करना चाहिए। लालच बुरी बला होता है। जितना मिले उसमे संतोष कर ले लेना चाहिए।

15. भालू और दो दोस्त की कहानी (The Bear and Two Friends Story in Hindi)

दो दोस्त एक घने जंगल से होकर कहीं जा रहे थे। दोनों काफ़ी गहरे दोस्त थे और अपनी दोस्ती को लेकर दोनों ही बातें करते हुए जा रहे थे। जंगल बहुत ही घना था, तो उनमें से एक दोस्त डर रहा था, लेकिन उसके साथी मित्र ने कहा कि मेरे होते हुए तुम्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं तुम्हारा सच्चा और अच्छा मित्र हूं। इतने में ही सामने से ही बहुत ही बड़ा भालू उन्हें नज़र आया, जो दोस्त कह रहा था कि मैं अच्छा मित्र हूं, वो भालू को देखते ही भाग खड़ा हुआ। दूसरा मित्र कहता रहा कि मुझे छोड़कर मत भागो, लेकिन वो भागते हुए एक पेड़ पर चढ़ गया।

यह देख उसका मित्र और भी डर गया, क्योंकि वो पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था। इतने में वो भालू और भी नज़दीक आ गया था। जब वो बेहद क़रीब आने लगा, तो दूसरे मित्र के पास कोई चारा नहीं रहा और वो वहीं नीचे ज़मीन पर आंखें बंद करके लेट गया। पेड़ पर चढ़ा मित्र यह सारा नज़ारा देख रहा था और वो सोचने लगा कि ऐसे तो यह मर जाएगा। इतने में ही वो भालू नीचे लेटे मित्र के क़रीब आकर उसे देखने लगा, उसे सूंघा और उसके शरीर का पूरी तरह मुआयना करके आगे बढ़ गया।

ज़मीन पर लेटे मित्र ने राहत की सांस ली और वो सोचने लगा कि अच्छा हुआ जो मैंने सांस रोक ली थी, क्योंकि भालू मुर्दों को नहीं खाते और वो भालू मुझे मरा हुआ समझकर आगे बढ़ गया।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की सच्चा दोस्त वही होता है, जो बुरे से बुरे व़क्त में भी अपने मित्र का साथ नहीं छोड़ता और मुसीबत के समय अपने मित्र की मदद करता है।

16. ऊँट और सियार की कहानी (Camel and Jackal Story in Hindi)

ऊँट और सियार दो मित्र थे। दोनो अक्सर साथ-साथ रहते थे। दोनो मित्र जंगल में घूमकर थक चूके थे। ऊँट को मनपसंद भोजन नहीं मिलने के कारण वह खुद को भूखा महसूस कर रहा था। दोनो मित्र अच्छे भोजन की तलाश में निकल गए। रात बहुत ज्यादा हो गई थी। वे दोनो दूर किसी गाँव की तरफ निकल गए। दोनो ने देखा कि गाँव की खेत में चने की अच्छी फसल लगी है।

चने की खेत देखकर सियार के मुहँ में पानी आ गया और वह चने को ऊँट से पहले खाने का मन बना लिया। सियार अपनी चालाकी दिखाते हुए ऊँट को मनवा लिया कि पहले वह चना खाएगा और फिर बाद में उसका मित्र ऊँट। सियार अपने मित्र ऊँट को यह कहकर समझाया की जब वह चना खाएगा तब सियार खेत की पहरेदारी करेगा ताकि जब खेत का मालिक आए तो उसको आगाह कर सके।

भोला-भाला ऊँट अपने मन में यह सोचकर गद-गद हो गया कि उसका मित्र उसके लिए इतना फिक्रमंद है। ऊँट तुरंत तैयार हो गया और सियार को पहले चना खाने को कह दिया। चना खाकर सियार का पेट पूरी तरह से भर गया था।सियार ने अपने मित्र ऊँट को चना खाने को कह दिया और खुद खेत की पहरेदारी करने चला गया। ऊँट ख़ुशी से झूमता हुआ खेत के अंदर चला गया और बड़े ही चाव से स्वाद लेता हुआ चना खाने लगा।

उधर, सियार का पेट पूरी तरह से भरा होने के कारण जम्हाई आने लगी। सियार अपनी जम्हाई को रोकने का प्रयास कर रहा था क्योंकि उसका मित्र ऊँट खेत में चना खा रहा था। परन्तु सियार अपनी आदत के अनुसार अपनी हुआ-हुआ की आवाज़ को रोक न सका और अपनी पूरी शक्ति हुआ-हुआ करने में लगा दी। सियार की आवाज़ सुनकर खेत का मालिक दौड़ता हुआ खेत की तरफ भागा।

ऊँट अपने ऊपर आनेवाली परेशानी को भाँप गया था और वह बिना पेट भरे ही खेत से भागा। ऊँट सियार के पास जाकर बोला कि उसे हुआ-हुआ करने की क्या आवश्यकता थी? आज तुम्हारे इस आदत की वजह से मैं मार खाते-खाते रह गया। इसपर, सियार बोला – हुआ-हुआ करना तो सियार की आदत ही नहीं आचरण भी होता है। ऊँट को समझ आ गई थी दो असमान आचरण वालों की मित्रता हमेशा साथ नहीं देती।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मित्रता हमेशा एक जैसी आचार और विचार रखने वालो में ही सफल होती है।

17. दो मेंढ़कों की कहानी (Two Frogs Story in Hindi)

बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में मेंढकों का एक समूह रहता था। एक दिन सभी मेंढकों ने फैसला किया कि आज हम पूरे जंगल की सैर करते हैं। सभी मेंढक यात्रा के लिए तैयार हो गए। इसके बाद समूह के दो मेंढक यात्रा के दौरान एक गहरे गड्ढे में गिर जाते हैं। जिसके बाद दोनों मेंढक बाहर निकलने की काफी कोशिश करते हैं लेकिन दोनों में से कोई भी बाहर नहीं निकल पाता।

यह सब देखकर उन दोनों मेंढकों के साथी गड्ढे के बाहर जोर-जोर से चिल्ला रहे थे। और आपस में बातें करते हुए कह रहे थे कि तुम्हारा प्रयास व्यर्थ है। आप कितनी भी कोशिश कर लें, आप गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाएंगे।

गड्ढे में मौजूद दो मेंढकों में से एक मेंढक गड्ढे के बाहर सभी मेंढकों को सुन रहा था। इन बातों को सुनकर गड्ढे में मौजूद मेंढक बहुत निराश हुआ और उसने गड्ढे से बाहर निकलने की कोशिश करना छोड़ दिया और निराशा में अपने प्राण त्याग दिए। लेकिन दूसरा मेंढक अभी भी छेद से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रहा था। और गड्ढे के बाहर सभी मेंढक उसका मज़ाक उड़ा रहे थे और हँस रहे थे।

बार-बार कोशिश करने के बाद दूसरे मेंढक ने लंबी छलांग लगाई और गड्ढे से बाहर निकल गया। यह देखकर समूह के सभी मेंढक हैरान रह गए। जब सभी ने पूछा कि उसने यह कैसे किया, मेंढक ने उत्तर दिया कि वह बहरा था और वह यह पता लगाने की कोशिश कर रहा था कि उसे लगा कि अन्य सभी मेंढक उसे खुश करने के लिए कूद रहे हैं।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें जीवन में किसी की भी नकारात्मक बातें नहीं सुननी चाहिए। दूसरों की नकारात्मक बातों पर ध्यान देने की बजाय यदि हम सकारात्मक सोच के साथ प्रयास करें तो हम अपने कार्य में सफल हो सकते हैं।

18. बिल्ली और चूहों की कहानी (Cat and Mouse Story in Hindi)

एक बिल्ली थी, वो बहुत ही चालाक और चौकस थी और उसकी इसी चालाकी और चौकसी को देखकर चूहे भी सावधान हो गये थे और अब चूहे बिल्ली के हाथ नहीं आ रहे थे। एक समय ऐसा आया कि बिल्ली भूख के मारे तड़पने लगी। एक भी चूहा उसके हाथ नहीं आता था, क्योंकि वो उसकी आहट सुनते ही तेज़ी से अपने बिल में छुप जाते थे। भूख से बचने के लिए बिल्ली योजना बनाने लगी। तभी उसके दिमाग में कुछ आया और वो एक टेबल पर उल्टी लेट गई। उसने सभी चूहों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वो मर चुकी है।

सारे चूहे बिल्ली को ऐसे लेटा हुआ अपने बिल से ही देख रहे थे। उन्हें पता था कि बिल्ली बहुत चालाक है, इसलिए उनमें से कोई भी चूहा अपने बिल से बाहर नहीं आया। लेकिन, बिल्ली भी हार मानने वालों में से नहीं थी। वो बहुत देर तक उसी टेबल पर उल्टी लेटी रही। धीरे-धीरे चूहों को लगने लगा कि बिल्ली मर चुकी है। वो जश्न मनाते हुए अपने बिल से निकलने लगे। चूहे जैसे ही बिल्ली की टेबल के पास पहुँचे, उसने उछलकर दो चूहे पकड़ लिए।

इस तरह बिल्ली ने इस बार तो अपने पेट को भर लिया, लेकिन चूहे अब और भी ज़्यादा सतर्क हो गए। दो चूहे खाने के बाद बिल्ली दोबारा भूख से तड़पने लगी और अब चूहे बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतना चाहती थे। इस बार पेट भरने के लिए एक बार फिर बिल्ली को योजना बनानी थी। लेकिन, इस बार छोटी योजना काम नहीं आने वाली थी। इसलिए, बिल्ली ने अब खुद को पूरे आटे से ढक लिया। चूहों ने सोचा कि वह आटा है और उसे खाने के लिए आ गए।

लेकिन एक बूढ़े चूहे ने उन्हें रोक दिया। उसने ध्यान से आटा देखा, तो उसे उसमें बिल्ली का आकार दिखने लगा। तभी बूढ़े चूहे ने हल्ला मचाना शुरू किया। उसने कहा, “सब अपने बिल में चले जाओ। यहाँ आटे में बिल्ली छुपी है।” बूढ़े चूहे की बात सुनकर सारे चूहे अपने बिल में चले गए। जब बहुत देर तक एक भी चूहा बिल्ली के पास नहीं पहुँचा, तब बिल्ली थकने की वजह से उठ गई। इस तरह बूढ़े चूहे ने अपने अनुभव से सारे चूहों की जान बचा ली।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

बिल्ली और चूहे की इस कहानी से यह सीख मिलती है कि बुद्धि का इस्तेमाल करके धोखे से बचा जा सकता है।

19. सुई देने वाली पेड़ की कहानी (The Needle Tree Story in Hindi)

बहुत समय पहले की बात है। घने जंगल किनारे एक गाँव बसा हुआ था। उस गाँव में दो भाई रहा करते थे। दोनों भाइयों के व्यवहार में बड़ा अंतर था। छोटा भाई बड़े भाई से बहुत प्यार करता था। लेकिन बड़ा भाई स्वार्थी, लालची और दुष्ट था। वह छोटे भाई से चिढ़ता था और सदा उससे बुरा व्यवहार किया करता था। बड़े भाई के इस व्यवहार से छोटा भाई दु:खी हो जाता था, लेकिन उसके प्रति प्रेम के कारण वह सब कुछ सह जाता था और कभी कुछ नहीं कहता था।

एक दिन बड़ा भाई लकड़ी काटने जंगल गया। वहाँ इधर-उधर तलाशने पर उसकी नज़र एक ऊँचे पेड़ पर पड़ी। आज इसी पेड़ की लकड़ी काटता हूँ, ये सोचकर उसने कुल्हाड़ी उठा ली। लेकिन वह कोई साधारण पेड़ नहीं, बल्कि एक जादुई पेड़ था। जैसे ही बड़ा भाई पेड़ पर कुल्हाड़ी से वार करने को हुआ, पेड़ उससे विनती करने लगा, “बंधु! मुझे मत काटो। मुझे बख्श दो। यदि तुम मुझे नहीं काटोगे, तो मैं तुम्हें सोने के सेब दूंगा.”

सोने के सेब पाने के लालच में बड़ा भाई तैयार हो गया। पेड़ ने जब उसे सोने के कुछ सेब दिए, तो उसकी आँखें चौंधिया गई। उसका लालच और बढ़ गया। वह पेड़ से और सोने के सेब की मांग करने लगा। पेड़ के मना करने पर, वह उसे धमकाने लगा, “यदि तुमने मुझे और सेब नहीं दिए, तो मैं तुम्हें पूरा का पूरा काट दूंगा”

यह बात सुनकर पेड़ को क्रोध आ गया। उसने बड़े भाई पर नुकीली सुईयों की बरसात कर दी। हजारों सुईयाँ चुभ जाने से बड़ा भाई दर्द से कराह उठा और वहीं गिर पड़ा। इधर सूर्यास्त होने के बाद भी जब बड़ा भाई घर नहीं आया, तो छोटे भाई को चिंता होने लगी। वह उसे खोजने जंगल की ओर निकल पड़ा।

जंगल पहुँचकर वह उसे खोजने लगा। खोजते-खोजते वह उसी जादुई पेड़ के पास पहुँच गया। वहाँ उसने बड़े भाई को जमीन पड़े कराहते हुए देखा। वह फ़ौरन उसके करीब पहुँचा और उसके शरीर से सुईयाँ निकालने लगा। छोटे भाई का प्रेम देखकर बड़े भाई का दिल पसीज़ गया। उसे अपने व्यवहार पर पछतावा होने लगा। उसकी आँखों से आँसू बह निकले और वह अपने छोटे भाई से माफ़ी मांगने लगा। उसने वचन दिया कि आगे से कभी उसके साथ बुरा व्यवहार नहीं करेगा।

छोटे भाई ने बड़े भाई को गले से लगा लिया। जादुई पेड़ ने भी जब बड़े भाई के व्यवहार में बदलाव देखा, तो उसे ढेर सारे सोने के सेब दिए। उन सोने के सेबों को बेचकर प्राप्त पैसों से दोनों भाइयों ने एक व्यवसाय प्रारंभ किया, जो धीरे-धीरे अच्छा चलने लगा और दोनों भाई सुख से रहने लगे।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों के प्रति सदा दयालु रहें। दयालुता सदा सराही जाती है।

20. मूर्ख गधा की कहानी (Silly Donkey Story in Hindi)

एक बार की बात है, एक गाँव में एक नमक बेचने वाला व्यापारी रहता था। उसके पास एक गधा था। वह इस गधे से नमक ढोने का काम करवाता था। व्यापारी हर रोज अपने गधे पर नमक की थैली लेकर बाजार जाता था। रास्ते में उन्हें एक छोटी सी नदी पार करनी पड़ती थी।

एक दिन अचानक से गधा नदी में गिर गया, जिसके कारण नमक की थैली भी पानी में गिर गई थी। नदी में नमक की थैली गिरने के कारण नमक पानी में घुल गया। पानी में नमक घुलने के कारण थैली बहुत हल्की हो गई थी इसलिए उसे थैली को ले जाना बहुत आसान हो गया। इससे गधा बहुत खुश था।

फिर गधा रोज वही चाल चलने लगा जिससे नमक पानी में घुल जाता था और उसे ले जाने में आसानी होती थी। नमक बेचने वाले व्यापारी को उसकी चाल समझ में आ गई और उसने गधे को सबक सिखाने का फैसला किया। अगले दिन उसने गधे पर नमक की जगह कपास का थैला लाद दिया।

फिर से उसने वही चाल चली जिससे उसे उम्मीद थी कि अभी भी थैला हल्का हो जाएगा। लेकिन पानी में जाते ही कपास गीला हो गया जिसके कारण वह ले जाने के लिए बहुत भारी हो गया और गधे को नुकसान उठाना पड़ा। इससे उसने एक सबक सीखा। उस दिन के बाद उसने कोई चाल नहीं चली और अब व्यापारी भी खुश था क्योंकि अब उसका नुकसान नहीं हो रहा था।

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि भाग्य हो या होशयारी हमेशा साथ नहीं देता है।

21. एक बूढ़े व्यक्ति की कहानी (Old Person Story in Hindi)

गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। वह दुनिया के सबसे बदकिस्मत लोगों में से एक था। सारा गाँव उसके अजीबोग़रीब हरकत से थक गया था। क्योंकि वह हमेशा उदास रहता था, वह लगातार शिकायत करता था और हमेशा खराब मूड में रहता था। जितना अधिक वह जीवित रहा, उतना ही वो दुखी रहता और उसके शब्द उतने ही जहरीले थे। लोग उससे बचते थे, क्योंकि उसका दुर्भाग्य संक्रामक हो गया था।

उससे जो भी मिलता उसका दिन अशुभ हो जाता। उसके बगल में खुश रहना अस्वाभाविक और अपमानजनक भी था। इतना ज़्यादा दुखीं होने के वजह से उसने दूसरों में दुख की भावना पैदा की। लेकिन एक दिन, जब वह अस्सी साल के हुए, एक अविश्वसनीय बात हुई। ये बात लोगों में आग के तरह फैल गयी।

“वह बूढ़ा आदमी आज खुश था, वह किसी भी चीज़ की शिकायत नहीं कर रहा था, बल्कि पहली बार वो मुस्कुरा रहा था, और यहाँ तक कि उसका चेहरा भी तरोताज़ा दिखायी पड़ रहा था।” यह देख कर पूरा गांव उसके घर के सामने इकट्ठा हो गया। और सभी ने बूढ़े आदमी से पूछा की : तुम्हें क्या हुआ है? जवाब में बूढ़ा आदमी बोला : “कुछ खास नहीं। अस्सी साल से मैं खुशी का पीछा कर रहा हूं, और यह बेकार था, मुझे ख़ुशी कभी नहीं मिली। और फिर मैंने खुशी के बिना जीने और जीवन का आनंद लेने का फैसला किया। इसलिए मैं अब खुश हूं।”

इस कहानी से क्या सीख मिली?

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की खुशी का पीछा मत करो। जीवन का आनंद लो।

निष्कर्ष-

तो दोस्तों इस तरह से आपको आज बहुत अच्छी-अच्छी हिंदी में कहानियाँ (Short Stories in Hindi) पढ़ने को मिली होगी। आप इन शार्ट स्टोरीज को अपने बच्चों को सुना सकते हैं। और उन्हें आप अच्छी सीख दे सकते हैं।

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