Secularism क्या है? जाने सेकुलरिज्म का अर्थ!

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जय हिन्द दोस्तों, तो दोस्तों क्या आप जानते हैं, धर्मनिरपेक्षता और गैर धर्मनिरपेक्षता का मतलब क्या होता है? आज हम आपको बताएंगे की धर्मनिरपेक्षता और गैर धर्मनिरपेक्षता (what is secularism and non-secularism) क्या होता है?

धर्मनिरपेक्षता और गैर धर्मनिरपेक्षता में क्या अंतर है? (difference between secularism and non-secularism)

धर्मनिरपेक्षता और गैर धर्मनिरपेक्षता के बारे में जानकारी बताने जा रहे हैं, आज के लेख में हम आपको बताएंगे की secularism और non-secularism क्या होता है? secularism और non-secularism में क्या अंतर है?

इसके साथ ही आपको हम धर्मनिरपेक्षता और गैर धर्मनिरपेक्षता से जुड़ी अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारी भी इस लेख के माध्यम से बताने वाले हैं,

जिससे की आपको धर्मनिरपेक्षता और गैर धर्मनिरपेक्षता से सम्बंधित पूरी जानकारी प्राप्त हो सके। तो दोस्तों इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ियेगा।

लोग अक्सर अपनी बोल-चाल में धर्मनिरपेक्ष और गैर धर्मनिरपेक्ष (Secular and Non-Secular) शब्द का प्रयोग करते है।

लेकिन यदि आपको अभी तक यह नहीं पता की धर्मनिरपेक्ष और गैर धर्मनिरपेक्ष (Secular and Non-Secular) का मतलब क्या होता है? तो इस Post को शुरू से लेकर अंत तक जरुर पूरा पढ़िए।

क्योंकि हमारे आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको धर्मनिरपेक्ष और गैर धर्मनिरपेक्ष (Secular and Non-Secular) का अर्थ यानि की धर्मनिरपेक्ष और गैर धर्मनिरपेक्ष (Secular and Non-Secular) का मतलब बताने वाले हैं,

जिससे अगली बार से जब कभी भी आप धर्मनिरपेक्ष और गैर धर्मनिरपेक्ष (Secular and Non-Secular) का जिक्र सुने तो आपको इस शब्द का मतलब पहले से ही पता हो और आप इस शब्द का मतलब दूसरों के साथ भी शेयर कर सकें।

Vector image of people showing Secularism with their religious symbol

धर्मनिरपेक्षता क्या है? (What is Secularism)

धर्म का मतलब होता है, मान्यता । वह मान्यता जो लोगों द्वारा मानी जाती है और निरपेक्षता का मतलब होता है किसी भी चीज का पक्ष ना लेना यानी कि यदि कोई राज्य अगर किसी धर्म का पक्ष नहीं लेता है, तो वह धर्मनिरपेक्ष राज्य कहलाता है ।

धर्मनिरपेक्षता (secularism) की भावना एक उदार एवं व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है जो ‘सर्वधर्म समभाव’ की भावना से परिचालित है। धर्मनिरपेक्षता सभी को एकता के सूत्र में बाँधने का कार्य करती है।

इसमें किसी भी समुदाय का अन्य समुदायों पर वर्चस्व स्थापित नहीं होता है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था को मज़बूती प्रदान करती है तथा धर्म को राजनीति से पृथक करने का कार्य करती है।

धर्मनिरपेक्षता का लक्ष्य नैतिकता तथा मानव कल्याण को बढ़ावा देना है जो सभी धर्मों का मूल उद्देश्य भी है। भारत का इतिहास धर्मनिरपेक्ष परंपराओं में अविश्वसनीय रूप से समृद्ध है।

भारतीय संस्कृति की समग्र प्रकृति कई आध्यात्मिक परंपराओं और सामाजिक आंदोलनों के एकीकरण पर आधारित है।

सनातन धर्म (हिंदू धर्म) को अनिवार्य रूप से प्राचीन भारत में विभिन्न आध्यात्मिक परंपराओं को स्वीकार करके और उन्हें एक ही मुख्य धारा में शामिल करने का प्रयास करके एक व्यापक धर्म के रूप में विकसित होने की अनुमति दी गई थी।

चार वेदों, वैदिक साहित्य और विभिन्न पुराणों और उपनिषदों की व्याख्याओं का विकास हिंदू धर्म की धार्मिक विविधता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में, शासक अशोक पहले महान सम्राट थे जिन्होंने घोषणा की थी कि राज्य किसी भी धार्मिक संप्रदाय का दमन नहीं करेगा।

अपने 12वें पत्थर शिलालेख में, अशोक ने लोगों से उन्हें स्वीकार करने के अलावा सभी धार्मिक संप्रदायों के लिए महान सम्मान की भावना पैदा करने का आग्रह किया।

उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अन्य धार्मिक आंदोलनों की आलोचना करने से बचें। उन्होंने लोगों से अन्य धर्मों के पवित्र ग्रंथों में निपुण बनने की अपील की।

2,300 से अधिक वर्ष पहले अशोक द्वारा धार्मिक सहिष्णुता के आह्वान को भारत में सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक मूल्यों में से एक माना गया है।

मानव और भारतीय दोनों सभ्यताओं की परिभाषित विशेषताओं में से एक अशोक का धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण है। जैन धर्म, बौद्ध धर्म, और अंततः इस्लाम और ईसाई धर्म के भारतीय भूमि पर आने के बाद भी धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न धर्मों के सह-अस्तित्व की खोज जारी रही।

गैर धर्मनिरपेक्ष क्या है? (What is Non Secularism)

गैर धर्म का मतलब होता है, अनभिज्ञता या ना मानने वाला। वह अनभिज्ञता जो लोगों द्वारा ना मानी जाती है और गैर निरपेक्षता का मतलब होता है किसी भी चीज का पक्ष लेना यानी कि यदि कोई राज्य अगर किसी धर्म का पक्ष लेता है, तो वह धर्मनिरपेक्ष राज्य कहलाता है ।

भारतीय परिप्रेक्ष्य में धर्मनिरपेक्षता को लेकर आरोप लगाया जाता है कि यह पश्चिम से आयातित है।अर्थात् इसकी जड़े/ उत्पत्ति ईसाइयत में खोजी जाती हैं।

धर्मनिरपेक्षता पर धर्म विरोधी होने का आक्षेप भी लगाया जाता है जो लोगों की धार्मिक पहचान के लिये खतरा उत्पन्न करती है। भारतीय संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता पर आरोप लगाया जाता है।

कि राज्य बहुसंख्यकों से प्रभावित होकर अल्पसंख्यकों के मामले में हस्तक्षेप करता है जो अल्पसंख्यकोंं के मन में यह शंका उत्पन्न करता है कि राज्य तुष्टीकरण की नीति को बढ़ावा देता है।

ऐसी प्रवृत्तियाँ ही किसी समुदाय में साप्रदायिकता को बढ़ावा देती हैं। धर्मनिरपेक्षता को कभी-कभी अति उत्पीड़नकारी रूप में भी देखा जाता है जो समुदायों/व्यक्तियों की धार्मिक स्वतंत्रता में अत्यधिक हस्तक्षेप करती है। यह वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा देती है।

धर्मनिरपेक्ष और गैर धर्मनिरपेक्ष में अंतर (Difference between Secularism and Non Secularism)

धर्मनिरपेक्ष (Secular)गैर धर्मनिरपेक्ष (Non Secular)
भारतीय नागरिकों को धर्म का मौलिक अधिकार दिया गया है, हालांकि यह अधिकार सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन है।गैर धर्मनिरपेक्ष में आमतौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका, राज्य और धर्म अलग हो जाते हैं और दोनों एक दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं।
कोई भी धर्म ऐसा नहीं है जो भारतीय समाज पर हावी हो क्योंकि एक नागरिक किसी भी धर्म का पालन करने, मानने और प्रचार करने के लिए स्वतंत्र है।ईसाई धर्म राज्य में सबसे सुधारित, जाति तटस्थ और एकल प्रमुख धर्म है।
भारत, अपने दृष्टिकोण के साथ, अंतर-धार्मिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है और समाज पर किसी भी धर्म से जुड़े कलंक (यदि कोई हो) को दूर करने का प्रयास करता है।गैर धर्मनिरपेक्ष ईसाई धर्म के अंतर-धार्मिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित नहीं करता है और धर्म को समाज पर कार्य करने देता है जैसा कि यह है।
कई धर्मों तक पहुंच के कारण, अंतर-धार्मिक संघर्ष होते हैं और भारत सरकार को शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ता है।चूंकि ईसाई धर्म एक प्रमुख धर्म है, इसलिए अंतर-धार्मिक संघर्षों पर कम ध्यान दिया जाता है।
भारत में, कई धर्मों और कई समुदायों की उपस्थिति के कारण, सरकार को दोनों पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, अनुच्छेद 29 धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ भाषाई अल्पसंख्यकों दोनों को सुरक्षा प्रदान करता है।गैर धर्मनिरपेक्ष अब तक एक ही धर्म के लोगों के बीच समानता और सद्भाव पर ध्यान केंद्रित करता है।
विविध धर्मों की उपस्थिति के साथ, धार्मिक निकायों की भूमिका भी बढ़ जाती है और यह भारतीय राजनीति में उनकी भूमिका को आगे बढ़ाता है।राष्ट्रीय राजनीति में धार्मिक संस्थाओं की भूमिका बहुत कम है।
भारतीय राज्य धार्मिक संस्थानों की सहायता कर सकते हैं।गैर धर्मनिरपेक्ष में धार्मिक संस्थानों की सहायता नहीं करते हैं।

निष्कर्ष-

इस तरह से अब आपको पता चल गया होगा की, धर्मनिरपेक्षता और गैर धर्मनिरपेक्षता क्या होता है? (what is secularism and non-secularism) धर्मनिरपेक्षता और गैर धर्मनिरपेक्षता में क्या अंतर है?

(difference between secularism and non-secularism) इसके अलावा और भी कई चीज़ें आज आपको धर्मनिरपेक्षता और गैर धर्मनिरपेक्षता (secular and non-secular) के बारे में पता चली होगी।

अगर आपको कोई चीज़ जो आज हमने बताई वो समझ में न आई हो, तो आप हमसे निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। और अगर आपको ये लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें। जय हिन्द!

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