2025 में होली कब है, होली कब जलेगी, कितने तारीख को है? जानिए शुभ मुहूर्त और पंचांग।

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दोस्तों 2025 में होली कब है इसका इंतज़ार हम सब को होता है, क्यू की इस दिन हम बहोत धूम धाम से अपने इस पवन पर्व को ख़ुशी के साथ मानते हैं।

हम सभी को इसी बात का इंतज़ार रहता है, 2025 में होली कब है, और होलिका दहन कब मनाया जायेगा, तो आज हम यहाँ पर आपको 2025 में होली कब है, और किस दिन, किस तारीख को मनाई जाएगी इसकी पूरी जानकी यहाँ पर देंगे।

2025 me holi kab hai: होली 2025 में आने वाले त्योहार और छुट्टियों में सबसे पसनद किया जाने वाला त्यौहार है, जिसमे हम सभी अपने परिवार और दोस्तों के साथ होली का पवन त्यौहार मानते हैं।

भारत में होली 2025 की तिथि, राज्यवार समय, पंचांग, ​​मुहूर्त, और रंगारंग त्योहार का विवरण जल्द ही आ रहा है। पूरा लेख पढ़ें और जाने की 2025 में होली कब है, और कैसे मनाई जाएगी।

2025 में होली कब है

2025 में होली कब है?

2025 में होली 14 मार्च को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 12 मार्च 2023 को शाम 04 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और समापन 13 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगा।

2025 में होलिका दहन कब है?

2025 में होलिका दहन का शुभ मुहर्त 13 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 31 मिनट से रात 08 बजकर 58 मिनट है। अवधि 02 घंटे 27 मिनट की है, इस बीच आप होलिका दहन का त्यौहार मना सकते हैं।

2025 में होली का शुभ मुहूर्त

होली 2025 डेट14 मार्च
होलिका दहन13 मार्च

होली शुक्रवार, 14 मार्च को भारत में मनाई जाएगी। 13 मार्च (पूर्णिमा की रात) होलिका दहन का समय है। होलिका दहन मुहूर्त 13 मार्च को शाम 06:24 बजे से रात 08:51 बजे तक है।

2025 में होली किस राज्य में कब और कहाँ मनाई जायगी यहाँ जानिए।

बिहार में होली कब मनाया जाएगा? 2025

2025 में बिहार में होली 14 मार्च को मनाई जायेगी। होली बिहार में एक लोकप्रिय त्योहार है। त्योहार वसंत की शुरुआत का प्रतीक है और खुशी और खुशी का समय है। उत्सव में हर उम्र के लोग शामिल होते हैं।

वे सफेद कपड़े पहनते हैं और गायन और नृत्य जैसी मज़ेदार गतिविधियों में शामिल होते हैं। त्योहार का मुख्य आकर्षण रंग फेंकना है। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए लोग एक-दूसरे को रंग और पानी से सराबोर करते हैं।

उत्तर प्रदेश में होली कब है? 2025

2025 में उत्तर प्रदेश में होली 8 मार्च को मनाई जाएगी। उत्तर प्रदेश में मथुरा शहर, जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, हिंदुओं के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। होली की पूर्व संध्या पर, मथुरा में लोग अलाव जलाते हैं और भक्ति गीत गाते हैं।

मथुरा के मंदिर में लोग भव्यता के साथ होली का त्योहार मनाते हैं। रंगारंग कार्यक्रमों के मजे करते हैं जो कई लोगो को आकर्षित करते हैं। होली का जुलूस, जो विश्राम घाट से शुरू होता है और होली गेट के पास समाप्त होता है।

दोपहर का यह एक एक लोकप्रिय कार्यक्रम है। द्वारकाधीश मंदिर होली उत्सवों का एक प्रमुख केंद्र है, क्योंकि यह छुट्टी के दिन सुबह भक्तों की एक बड़ी भीड़ होती हैं, जहाँ का नज़ारा देखने योग्य होता है।

मध्य प्रदेश में होली कब है? 2025

मध्य प्रदेश में होली 14 मार्च को मनाई जयेगी। मध्य प्रदेश में होली एक बहोत लोकप्रिय त्यौहार है जिसे लोग नाहोत धूम धाम से मानते हैं। इस दिन सभी लोग अपने बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं, और अपने दोस्तों और भाई बहन के साथ होली खेलते हैं।

राजस्थान में होली कब है 2025

राजस्थान की होली मनाने के लिए उदयपुर में बहुत भव्य आयोजन किआ जाता है। वहां के महाराजा और उनका परिवार उदयपुर में होली में भाग लेते है। होलिका दहन के दौरान शाही महल के प्रांगण में होलिका जलाई जाती है।

होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? (Why Holi is celebrated in Hindi)

होली का त्यौहार मनाने के पीछे असुर हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद की कहानी है। हिरण्यकश्यप असुरों का राजा था जो अपने आप को भगवान मानता था। लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान के भक्त थे और उनमें अनंत आस्था रखते थे।

ये बात हिरण्यकश्यप को बिलकुल भी रास नहीं आती थी। इस बात को ले कर हिरण्यकश्यप अपने पुत्र का भगवान् विष्णु के प्रति असीम भक्ति का विरोध किया करता था और उस से अप्रसन्न रहता था।

उसका विचार था की उसके अलावा किसी और को भगवान नहीं मान सकते हैं। हिरण्यकश्यप द्वारा प्रह्लाद को कितनी ही बार चेतावनी दी जाती है की वे विष्णु की आराधना ना करें वरना उन्हें मृत्यु दंड दिया जाएगा।

लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता की एक बात ना सुनी और चेतावनी देने के बाद भी विष्णु की आराधना में लीन रहते थे। हिरण्यकश्यप द्वारा बहुत बार तो अपने पुत्र को मारने की कोशिश की गयी लेकिन वे इस कोशिश में असफल रहे। तमाम कोशिशों के बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद लेने की सोची।

होलिका को भगवान ने वरदान दिया था की होलिका को कोई आग में नहीं जला सकता है। इसके बाद हिरण्यकश्यप द्वारा चिता बनवायी जाती है जिसमे होलिका के साथ प्रह्लाद को बैठा दिया जाता है और चिता को आग लगा दी जाती है।

प्रह्लाद चिता में बैठने के बाद भी विष्णु की आराधना में ही लीन रहते हैं और आग में होलिका भस्म हो जाती है। उसका वरदान भी निष्फल हो जाता है क्यूंकि उसने अपने वरदान का दुरूपयोग करने के लिए इस्तेमाल किया था।

वहीँ दूसरी तरफ प्रह्लाद आग में बैठने के बाद भी अपनी भक्ति की शक्ति के कारन सुरक्षित रहते हैं। इस कहानी में बताया जा रहा है की बुराई का एक न एक दिन अंत हो ही जाता है।

इस कहानी के प्रतीक स्वरुप ही इस दिन से होली के पहले दिन सभी लोगों द्वारा लकड़ी और कपड़ों की होलिका बनाई जाती है। जिसकी लोगों द्वारा पूजा की जाती है और इस दिन होलिका दहन की जाती है जिसमे लोग अपनी बुराइयों को को होलिका के साथ में खत्म करने की विनती करते है।

होली पर निबंध 300 शब्दों में (Essay in Holi in Hindi 300 Words)

होली, जिसे “रंगों का त्योहार” या “प्यार का त्योहार” भी कहा जाता है, यह भारत में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है। यह आमतौर पर मार्च महीने में मनाया जाता है, और वसंत के आगमन का प्रतीक है। होली का त्यौहार लोगों के एक साथ आने, पुराने गिले-शिकवे भुलाने और रिश्तों को मजबूत करने का समय है।

होली की उत्पत्ति प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में देखी जा सकती है। एक लोकप्रिय कहानी हिरण्यकश्यप नाम के एक राक्षस राजा के बारे में बताती है जो अमर और सर्वशक्तिमान होने की कामना करता था। उसने अपने राज्य में सभी को उसकी पूजा करने का आदेश दिया, लेकिन उसके अपने पुत्र प्रह्लाद ने मना कर दिया।

हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की कोशिश की, लेकिन हर कोशिश नाकाम रही। अंत में, उसने अपनी बहन, होलिका से, प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में प्रवेश करने के लिए कहा, क्योंकि उसके पास एक वरदान था जिसने उसे आग से प्रतिरक्षित बना दिया था। प्रह्लाद की भगवान की भक्ति ने उसकी रक्षा की, और होलिका जलकर मर गई। यह कहानी बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति का प्रतीक कही जाती है।

होली से जुड़ी एक और प्रचलित कहानी भगवान कृष्ण और राधा की है। भगवान कृष्ण, जो अपने चंचल स्वभाव के लिए जाने जाते थे, अक्सर राधा की त्वचा के गोरेपन के बारे में अपनी माँ से शिकायत करते थे। उनकी मां ने उन्हें राधा के चेहरे को किसी भी रंग में रंगने के लिए कहा, और यह एक दूसरे के चेहरे पर रंग लगाने की होली परंपरा का मूल कहा जाता है।

लोग पानी की बंदूकों, पानी के गुब्बारों और रंगीन पाउडर से लैस होकर सड़कों पर उतरते हैं और एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। यह एक हर्षित और मुक्त-उत्साही अवसर है, जहाँ सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोग जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं।

यह बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने और अपने आसपास के लोगों में प्यार और खुशी फैलाने का समय है।

होली पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines on Holi in Hindi)

  • होली हिंदुस्तान में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है।
  • इसे “रंगों का त्योहार” या “प्यार का त्योहार” भी कहा जाता है।
  • त्योहार की शुरुआत एक रात पहले अलाव से होती है, जिसे होलिका दहन के नाम से जाना जाता है।
  • अगले दिन, रंगवाली होली, धुलेटी, फगवा, जब लोग सड़कों पर उतरते हैं और एक दूसरे को रंग लगाते हैं।
  • होली की उत्पत्ति प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में देखी जा सकती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति का जश्न मनाती है।
  • होली एकता का प्रतीक है, जिसे मनाने के लिए सभी उम्र, धर्म और पृष्ठभूमि के लोग एक साथ आते हैं।
  • बहुत से लोग प्रियजनों के लिए विशेष मिठाइयाँ और व्यंजन बनाते हैं और संगीत और नृत्य प्रदर्शन आयोजित करते हैं।
  • होली एक जीवंत और आनंदमय त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और रिश्तों को मजबूत करता है।
  • कुछ क्षेत्रों में, लोग गुलाल जैसे फूलों और जड़ी-बूटियों से बने जैविक रंग से भी होली खेलते हैं।
  • होली एक ऐसा त्योहार है जो सामाजिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देता है, क्योंकि विभिन्न वातावरण के लोग एक साथ जश्न मनाने के लिए आते हैं।

आने वाले सालों में होली की तारीखें।

वर्षतारीख
202514 मार्च
20263 मार्च

FAQ

Q: लठमार होली कहां की है?

Ans: लठमार होली ब्रज के बरसाना गाँव में एक अलग तरह से खेली जाती है जिसे लठमार होली कहते हैं। इसमें लठमार कर होली के त्यौहार को मनाया जाता है।

Q: 2025 में होली किस तिथि को है?

Ans: हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 8 मार्च को होली मनाई जाएगी।

Q: होली कौन सा तारीख को पड़ेगा?

Ans: 2025 में होली 14 मार्च को है।

निष्कर्ष-

तो दोस्तों इस तरह से अब आपको पता चल गया होगा की 2025 में होली कब है, और किस दिन मनाई जाएगी। इसी के साथ आपको आज होली के बारे में और भी कई बाते पता चली होगी।

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