बसंत पंचमी 2024: जानें कथा, महत्व, पूजा विधि, सरस्वती वंदना और शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी का त्यौहार कथा, महत्व, पूजा विधि, सरस्वती वंदना और शुभ मुहूर्त बसंत ऋतू 2024 (Basant Panchami Importance, Katha, Puja Vidhi, Mahurat in Hindi)

Basant Panchami 2024: जानें वसंत पंचमी का महत्व और पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त कौन सा है, साथ ही जाने की बसंत पंचमी की कथा क्या है।

सर्दी के महीनों के बाद वसंत (Basant Panchami) और फसल की शुरूआत होने के रूप वसंत पचंमी (Basant Panchami) का त्योहार मनाया जाता है।

इस साल वसंत पचंमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जा रहा है। वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती माँ की विशेष रूप से पूजा की जाती है।

इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते है, पतंग उड़ाते है और मीठे पीले रंग के चावल का सेवन करते है। पीले रंग को बसंत का प्रतीक मानते है। बंसत ऋतु को सभी मौसमों में बड़ा माना जाता है।

इस मौसम में न तो चिलचिलाती धूप होती है, न सर्दी और न ही बारीश, वसंत में पेड़-पौधों पर ताजे फल और फूल खिलते हैं। इस महीने के दौरान मौसम काफी सुहावना हो जाता है।

इसमें ना तो ज्यादा सर्दी होती है और ना ही ज्यादा गर्मी, यही कारण है कि बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। ये मौसम पतझड़ के जाने का इशारा करती है और इसके साथ ही चारों तरफ हरियाली की छटा बिखर जाती है। पेड़ पौधों में नयी जान आ जाती है।

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वसंत पंचमी मुहूर्त (Basant Panchami 2024 Muhurat)

बसंत पंचमी14 फरवरी 2024
पूजा मुहूर्त13 फरवरी 2024 को दोपहर 02.41 और अगले दिन 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12.09 मिनट पर समाप्त होगी
तिथि प्रारंभ13 फरवरी 2024 को दोपहर 02.41
तिथि समाप्त14 फरवरी 2024 को दोपहर 12.09

बसंत पंचमी का महत्व (Basant Panchami Importance in hindi)

बसन्त पंचमी का त्योहार माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है यह बसन्त ऋतु के आगमन का सूचक है। इस वर्ष यह 26 जनवरी गुरुवार को मनाया जाएगा।

ये दिन देवी सरस्वती माँ का जन्म दिवस भी माना जाता है। यहां तक विश्वास किया जाता है कि जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है।

विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, और व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है।

फिर चाहे वे कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सभी इस दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों और यंत्रों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।

बसंत पंचमी को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस दिन से कड़कड़ाती ठंड खत्म होने लग जाती है और एक बार फिर मौसम सुहावना होने लग जाता है। हर तरफ हरियाली, पेड़-पौधों पर फूल, नई पत्तियां और कलियां खिलने लग जाती हैं।

बसंत पंचमी की पौराणिक कथा (Basant Panchami Katha in Hindi)

हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की। उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए। लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई।

इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था।

ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया. बहते पानी की धारा में आवाज़ आई, हवा सरसराहट करने लगा, जीव-जन्तु में स्वर आने लगा, पक्षी चहचहाने लगे।

तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। वह दिन बसंत पंचमी का ही था, इसी वजह से हर साल बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती माता का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी।

इस नज़ारे को गुलाबी ठंड और भी खास बना देती है। वहीं, हिंदू मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन को मां सरस्वती का जन्मदिन माना जाता है। इस दिन उनकी विशेष पूजा होती है और पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है।

बसंत पंचमी की पूजा विधि (Basant Panchami Puja Vidhi in Hindi)

  • सबसे पहले बसंत पंचमी के दिन सवेरे-सवेरे स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें।
  • इस दिन पूरे विधि विधान के साथ मां सरस्वती की आराधना करें।
  • मां सरस्वती की प्रतिमा को पीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें।
  • पूजा में रोली, मौली, हल्दी, केसर, अक्षत, पीले या सफेद रंग का फूल, पीली मिठाई आदि चीजों का प्रयोग करें।
  • इसके बाद मां सरस्वती की वंदना करें और पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को रखें।
  • पूजा स्थल की तैयारियों के बाद बच्चों को पूजा स्थल पर बैठाएं।
  • इस दिन से बसंत का आगमन हो जाता है इसलिए देवी को गुलाब अर्पित करना चाहिए।
  • सभी को फिर गुलाल से एक-दूसरे को टीका लगाना चाहिए।

सरस्वती वंदना संस्कृत श्लोक (Saraswati Vandana in Sanskrit)

या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता 
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। 
या ब्रह्माच्युत शंकर-प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता 
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥ 

शुद्धां ब्रह्मविचार सारपरम- माद्यां जगद्व्यापिनीं 
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌। 
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ 
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥

श्री सरस्वती स्तोत्रम्

श्वेतपद्मासना देवि श्वेतपुष्पोपशोभिता। 
श्वेताम्बरधरा नित्या श्वेतगन्धानुलेपना॥ 
श्वेताक्षी शुक्लवस्रा च श्वेतचन्दन चर्चिता। 
वरदा सिद्धगन्धर्वैर्ऋषिभिः स्तुत्यते सदा॥  
स्तोत्रेणानेन तां देवीं जगद्धात्रीं सरस्वतीम्। 
ये स्तुवन्ति त्रिकालेषु सर्वविद्दां लभन्ति ते॥ 
या देवी स्तूत्यते नित्यं ब्रह्मेन्द्रसुरकिन्नरैः। 
सा ममेवास्तु जिव्हाग्रे पद्महस्ता सरस्वती॥ 
॥इति श्रीसरस्वतीस्तोत्रं संपूर्णम्॥ 

सरस्वती आरती इन हिंदी (Saraswati Mata Aarti)

॥ आरती श्री सरस्वती जी ॥

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

जय सरस्वती माता॥

चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥

जय सरस्वती माता॥

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥

जय सरस्वती माता॥

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥

जय सरस्वती माता॥

विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥

जय सरस्वती माता॥

धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥

जय सरस्वती माता॥

माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी ज्ञान भक्ति पावे॥

जय सरस्वती माता॥

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

जय सरस्वती माता॥

FAQ

Q: बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त क्या है?

Ans: 14 फरवरी 2024 को

Q: बसंत पंचमी के दिन क्या होता है?

Ans: बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की पूजा होती है, सभी लोग पीले कपड़े पहनते हैं।

Q: बसंत पंचमी कब और क्यों मनाई जाती है?

Ans: बसंत पंचमी का त्यौहार बसंत ऋतू के आगमन पर जनवरी और फरवरी महीने के बीच में मनाया जाता है।

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