जय हिन्द दोस्तों, जय हिन्द दोस्तों, दोस्तों आज हम आपको सनातन धर्म क्या है? (What is Sanatan Dharm in Hindi) के बारे में जानकारी बताने जा रहे हैं।
इसके साथ ही हम आपको सनातन धर्म (Sanatan Dharm in Hindi) से जुड़ी अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारी भी इस लेख के माध्यम से बताने वाले हैं, जिससे की आपको सनातन धर्म (Sanatan Dharm kya hai) से सम्बंधित पूरी जानकारी प्राप्त हो सके।
जब भी हम धर्म की बात करते हैं तो आपके मन में धर्म को लेकर बहुत से प्रश्न उठते हैं और जब भी धर्म की बात होती है तो सर्वप्रथम सनातन धर्म के बारे में तो जरूर चर्चा की जाती है। कई धर्मो को सच्चे धर्म के नाम से भी जाना जाता है।
विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता के रूप में सनातन धर्म को माना जाता है। कई विद्वानों द्वारा यह माना जाता है कि जब पृथ्वी की उत्पत्ति हुई थी तब ही Sanatan Dharma की भी उत्पत्ति मानी जाती थी।
मतलब हम यह भी कह सकते है की जब दुनिया में जीवन शुरू हुआ साथ-साथ मानव की भी उत्पत्ति हुई थी ये धर्म मानव उत्पत्ति के पूर्व का माना जाता है।
तो दोस्तों, नीचे लेख में आपको सनातन धर्म क्या है (Sanatan Dharm kya hai) के बारे में पूर्ण जानकारी दी गई है। इस लेख को अंत तक जरुर पढ़िएगा।
Table of Contents
सनातन धर्म क्या है? (What is Sanatan Dharm in Hindi)
सनातन का शाब्दिक अर्थ है – शाश्वत या ‘सदा बना रहने वाला’, यानी जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म जिसे हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप में भी जाना जाता है।
भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के कई चिह्न मिलते हैं। यह धर्म, ज्ञात रूप से लगभग 12000 वर्ष पुराना है जबकि कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म 90 हजार वर्ष पुराना है।
प्राचीन काल में भारतीय सनातन धर्म में गाणपत्य, शैवदेव, कोटी वैष्णव, शाक्त और सौर नाम के पाँच सम्प्रदाय होते थे। गणपत्य गणेश की, वैष्णव विष्णु की, शैवदेव, कोटी शिव की, शाक्त शक्ति की और सौर सूर्य की पूजा आराधना किया करते थे।
पर यह मान्यता थी कि सब एक ही सत्य की व्याख्या हैं। यह न केवल ऋग्वेद परन्तु रामायण और महाभारत जैसे लोकप्रिय ग्रन्थों में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है।
प्रत्येक सम्प्रदाय के समर्थक अपने देवता को दूसरे सम्प्रदायों के देवता से बड़ा समझते थे और इस कारण से उनमें वैमनस्य बना रहता था।
एकता बनाए रखने के उद्देश्य से धर्मगुरुओं ने लोगों को यह शिक्षा देना आरम्भ किया कि सभी देवता समान हैं, विष्णु, शिव और शक्ति आदि देवी-देवता परस्पर एक दूसरे के भी भक्त हैं। उनकी इन शिक्षाओं से तीनों सम्प्रदायों में मेल हुआ और सनातन धर्म की उत्पत्ति हुई।
सनातन धर्म में विष्णु, शिव और शक्ति को समान माना गया और तीनों ही सम्प्रदाय के समर्थक इस धर्म को मानने लगे। सनातन धर्म का सारा साहित्य वेद, पुराण, श्रुति, स्मृतियाँ, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, गीता आदि संस्कृत भाषा में रचा गया है।
सनातन का अर्थ (Sanatan Dharm Meaning)
सनातन का अर्थ है – ‘शाश्वत’ या ‘हमेशा बना रहने वाला’।, सनातन अर्थात जो सदा से है, जो सदा रहेगा, जिसका अंत नहीं है और जिसका कोई आरंभ नहीं है वही सनातन है।
सनातन धर्म को बताने के लिए या उसके विषय में कुछ समझाने के लिए इसका कोई भी पुराना नाम सुनने को नहीं मिलता है। यह कहा जाता है की इसमें किसी भी और अखंड धर्म नहीं है।
जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता जा रहा है ठीक वैसे ही संसार में कई निम्न धर्म बनाये जा रहे है या ये कहे उदय हो रहा है इसलिए हिन्दू धर्म को दूसरे धर्म से अलग करना जरुरी कहा गया। धर्म को रिलिजन या ये कहे जीवन शैली कहा जाता है।
हर किसी व्यक्ति का धर्म अलग अलग होता है और वह उस धर्म को ही मानता है उसी धर्म की पूजा करता है। अपना धर्म हर किसी को अच्छा लगता है।
अलग-अलग धर्म के आधार पर भगवान की अलग पूजा की जाती है भगवान को माना जाता है पर आपको बता दे भगवान तो एक ही है। इस धर्म को सम्बोधित शाब्दिक रूप से नहीं बल्कि कर्तव्य रूप से अपने शब्दों में परिभाषित करते है।
क्योंकि दुनिया में सब लोगो के अलग अलग धर्म है। आपको क्षत्रिय और ब्राह्मण का धर्म एक लगता है नहीं ना दोनों धर्म अलग अलग है। एक सामान्य नागरिक और एक सामान्य साधु का धर्म में आपको विभिन्नता देखने को मिलेगी।
सनातन धर्म की उत्पति
सनातन धर्म किसी एक लेखक या दार्शनिक या किसी ऋषि के विचारों का बस उपज नहीं है, यह तो अनादि काल से प्रवाहमान और विकासमान रहा है। विश्व के सभी धर्मों से सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म है।
मान्यता है कि वैदिक धर्म जिसमें परमात्मा को साकार और निराकार दोनों रुपों में पूजा जाता है । ये वेदों पर आधारित धर्म है। जो अपने अन्दर कई तरह के उपासना, मत दर्शन को समेटे हुए है।
इसके अधिकतर उपासक भारत और नेपाल में है। जहां कई देवी देवताओं की पूजा की जाती है। ये धर्म इतना विशाल है कि इसमें से समय समय पर विभिन्न धर्म निकलते हैं।
एक तरह से कहा जाये तो परमपिता परमात्मा ने ही सब मनुष्यों के कल्याण के लिए वेदों का प्रकाश, सृष्टि के आरंभ में किया। जैसे जब हम नया मोबाइल लाते हैं तो साथ में एक दिग्दर्शिका मिलती है, कि इसे यहाँ पर रखें, इस प्रकार से बरतें, अमुक स्थान पर न ले जायें, अमुक चीज़ के साथ न रखें, आदि।
उसी प्रकार जब उस परमपिता ने हमें ये मानव तन दिए, तथा ये संपूर्ण सृष्टि हमें रच कर दी, तब क्या उसने हमें यूं ही बिना किसी ज्ञान व बिना किसी निर्देशों के भटकने को छोड़ दिया?
जी नहीं, उसने हमें साथ में एक दिग्दर्शिका दी, कि इस सृष्टि को कैसे बर्तें, क्या करें, ये तन से क्या करें, इसे कहाँ लेकर जायें, मन से क्या विचारें, नेत्रों से क्या देखें, कानों से क्या सुनें, हाथों से क्या करें आदि। उसी का नाम वेद है।
सनातन धर्म का स्वरूप
सनातन में आधुनिक और समसामयिक चुनौतियों का सामना करने के लिए इसमें समय समय पर बदलाव होते रहे हैं, जैसे कि राजा राम मोहन राय, स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद आदि ने सती प्रथा, बाल विवाह, अस्पृश्यता जैसे असुविधाजनक परंपरागत कुरीतियों से असहज महसूस करते रहे।
इन कुरीतियों की जड़ो (धर्मशास्त्रो) में मौजूद उन श्लोको -मंत्रो को “क्षेपक” कहा या फिर इनके अर्थो को बदला और इन्हें त्याज्य घोषित किया तो कई पुरानी परम्पराओं का पुनरुद्धार किया जैसे विधवा विवाह, स्त्री शिक्षा आदि।
यद्यपि आज सनातन का पर्याय हिन्दू है पर सिख, बौद्ध, जैन धर्मावलम्बी भी सनातन धर्म का हिस्सा हैं, क्योंकि बुद्ध भी अपने को सनातनी कहते हैं। यहाँ तक कि नास्तिक जोकि चार्वाक दर्शन को मानते हैं वह भी सनातनी हैं।
सनातन धर्मी के लिए किसी विशिष्ट पद्धति, कर्मकांड, वेशभूषा को मानना जरुरी नहीं। बस वह सनातनधर्मी परिवार में जन्मा हो, वेदांत, मीमांसा, चार्वाक, जैन, बौद्ध, आदि किसी भी दर्शन को मानता हो बस उसके सनातनी होने के लिए पर्याप्त है।
सनातन धर्म की गुत्थियों को देखते हुए कई बार इसे कठिन और समझने में मुश्किल धर्म समझा जाता है। हालांकि, सच्चाई तो ऐसी नहीं है, फिर भी इसके इतने आयाम, इतने पहलू हैं कि लोगबाग कई बार इसे लेकर भ्रमित हो जाते हैं।
सबसे बड़ा कारण इसका यह कि सनातन धर्म किसी एक दार्शनिक, मनीषा या ऋषि के विचारों की उपज नहीं है, न ही यह किसी ख़ास समय पैदा हुआ। यह तो अनादि काल से प्रवाहमान और विकासमान रहा। साथ ही यह केवल एक दृष्टा, सिद्धांत या तर्क को भी वरीयता नहीं देता।
सनातन धर्म का इतिहास (Sanatan Dharm History)
सनातन धर्म के इतिहास की बात करें तो सनातन धर्म जिसे हिन्दू धर्म या वैदिक धर्म भी कहा जाता है। सनातन धर्म के अस्तित्व या चिह्न भारत और आज के पाकिस्तानी क्षेत्र की सिंधु घाटी सभ्यता में मिलते हैं।
यह चिह्न सिंधु घाटी सभ्यता से बरामद किए गए जिनमे से अज्ञात मातृदेवी की मुर्तियाँ, शिव पशुपति जैसे देवता की मुद्राएँ, लिंग, पीपल की पूजा आदि।
यह धर्म 1960853110 वर्ष पुराना है, जिसे लेकर इतिहासकारों के मुताबिक इस सभ्यता के आखिर में मध्य एशिया से जाति का आगमन हुआ था, जिन्हे आर्यों के नाम से जाना जाने लगा और इनका संस्कृत नाम की हिन्दू यूरोपीया भाषा बोलते थे।
पुराने काल में भारत में पांच तरह की सम्प्रदाय जिनमे गाणपत्य, शैवदेव, सौर नाम, कोटी वैष्णव और शाक्त शामिल थे। इनमे वैष्णव विष्णु की, शैवदेव, कोटि शिव की, गाणपत्य गणेश की, सूर्य की पूजा और शाक्त शक्ति की अरावधना किया करते थे।
ऋग्वेद से लेकर रामायण और महाभारत जैसे लोकप्रिय एवं प्रसिद्द ग्रंथों में भी सपष्ट रूप में व्याख्या की गई है। देवताओं को लेकर भी प्रत्येक सम्प्रदाय के समर्थक अपने देवता को अपने देवता को दूसरे देवता से बड़ा समझते थे, जिसके कारण उनमे अनबन बनी रहती थी।
इस समस्या के समाधान के लिए और लोगों में एकता बनाए रखने के उद्देश्य से धर्मगुरुओं ने लोगों को यह शिक्षा देना शुरू किया की सभी देवता एकसमान है, जिससे उनमे वैमनस्य को खत्म करने में मदद मिल सकेगी।
देवी देवता जैसे- शिव, विष्णु, शक्ति देवी आदि ये सब एक दूसरे के आपस में भक्त थे। जो उनकी संप्रदाय होती है उनमे बहुत मेल देखने को मिलता है जिसमे सनातन धर्म की शुरूवात मानी जाती है।
विष्णु, शक्ति तथा शिव भगवानों को सनातन धर्म में समान बताया गया है एवं जो तीन संप्रदाय थे वे भी सनातन धर्म को मानने लग गए।
सनातन धर्म के प्रसिध्द मंदिर
सनातन धर्म (Eternal Religion) में पूजा को मंदिरो से जोड़कर देखा जाता है, सनातनी हिंदू मंदिरो मे जा के पूजा करते है, सबसे ज्यादा धर्म सनातन मानने वाले लोग भारत मे हैं, फिर भी भारत के अलावा कई देशो में आज भी विशालकाय मंदिर मौजूद हैं।
मंदिर का नाम | जगह का नाम |
अंकोरवाट मंदिर | कम्बोडिया |
अक्षरधाम मंदिर | दिल्ली |
श्रीरंगनाथ मंदिर | श्रीरंगम, कर्नाटक |
बेलूर मठ | पश्चिम बंगाल |
वृहदेश्वर मंदिर | तंजौर, तमिलनाडु |
तिरुपति मंदिर | आंध्र प्रदेश |
थिल्लई नटराज मंदिर | तमिलनाडु |
एकाम्बरेश्वर मंदिर | कांचीपुरम, तमिलनाडु |
अन्नामलईयार मन्दिर | तमिलनाडु |
FAQ
Q: सनातन का अर्थ क्या है?
Ans: सनातन का अर्थ है। सारस्वत या हमेशा बना रहने वाला अर्थात जिसका न आदि है। और न अंत।
Q: सनातन धर्म क्या है?
Ans: सनातन धर्म को हिन्दू धर्म भी कहा जाता है।
Q: सनातन धर्म का इतिहास कितना पुराना है?
Ans: सनातन धर्म का इतिहास बहुत पुराना है करीबन 1,96,58,83,110 साल का इतिहास है।
Q: सनातन को भारतीय उपमहाद्वीप में किस काल से बुलाया जाता है?
Ans: सनातन को भारतीय उपमहाद्वीप में सनातन धर्म को वैदिक काल के नाम से जाना जाता है।
Q: सनातन धर्म क्या सिखाता है?
Ans: सनातन धर्म हमें जीने का तरीका सिखाता है। जिसमे ये गुण अनिवार्य है जैसे- दया, क्षमा, विनम्र, सहनशील और परोपकार है।
निष्कर्ष-
तो दोस्तों अब आपको पता चल गया होगा की सनातन धर्म क्या है? (What is Sanatan Dharm in Hindi) साथ ही सनातन धर्म के बारे (about sanatan dharma) में और भी बहुत कुछ जानने को मिला होगा।
अगर आपको ये लेख पसंद आया हो तो, इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें और उनको भी सनातन धर्म क्या है? (Sanatan Dharm kya hai) के बारे में जानकारी दें। इस लेख को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। जय हिन्द!
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